चिड़िया बोली

पहाड़ी इलाके में एक गांव था। वहां एक लड़का अपने माता-पिता के साथ रहता था। सुंदर और भोले-भाले इस लड़के को घूमने का बहुत शौक था। एक दोपहर पेड़ के नीचे लेटा वह सोच रहा था, कितना ऊंचा है यह पहाड़। काश, मैं इसके उस पार जा सकता।’यही सोचते-सोचते उसे झपकी आ गई। सपना आने लगा, वह हवा में उड़ा जा रहा है। तभी उसकी आंखें खुल गईं। पेड़ पर बैठी पीले पंख और लाल चोंच वाली चिड़िया कह रही थी ‘क्या तुम पहाड़ के उस पार जाना चाहते हो?’ ‘मगर तुम तो छोटी सी चिड़िया हो। मुझे अपने साथ कैसे ले जा सकती हो?’ लड़के ने पूछा। ‘तुम चिंता न करो। मेरा पंजा मजबूती से पकड़ लो।’ चिड़िया बोली। लड़के ने जैसे ही चिड़िया का पंजा पकड़ा, उसका आकार बढ़ने लगा। बढ़ते-बढ़ते बहुत बड़ा हो गया। चिड़िया उसे लेकर उड़ चली। उस पार पहुंच, लड़के को नीचे उतारती हुई बोली, ‘जब भी तुम याद करोगे, मैं आ जाऊंगी।’ वह लड़का नगर में इधर-उधर घूमने लगा। वहां सभी लोग सुंदर कपड़े पहने हुए थे। चारों ओर रंग-बिरंगे फूल खिले थे। लड़के ने एक फूल तोड़ना चाहा तो माली ने कहा, ‘तुम अजनबी लग रहे हो। यह राजकुमारी का बाग है। फूल लेने हैं, तो राजकुमारी से पूछ लो।’ उसकी उत्सुकता बढ़ी। उसने राजा-रानी या राजकुमारी कभी देखे नहीं थे। पहरेदार उसे राजकुमारी के पास ले गए। राजकुमारी बहुत सुंदर थी। उसने कढ़ा हुआ पीला चोगा पहन रखा था। राजकुमारी ने लड़के की आवभगत की। उसे अपने महल में घुमाया। ‘तुम्हारे कितने भाई-बहन है?’ राजकुमारी ने पूछा। यह सुन कर लड़का उदास हो गया। बोला, ‘कोई भाई-बहन नहीं है। मैं अकेला हूं। तुम्हारे जैसी एक बहन होती, तो कितना मजा रहता।’ ‘मेरा भी कोई भाई नहीं है। क्या तुम मेरे भाई बनना पसंद करोगे?’ राजकुमारी ने पूछा। यह सुन कर लड़का बहुत खुश हुआ। बोला, ‘अब मुझे अपने घर की याद आ रही है। मैं यह बात अपने माता-पिता को बताना चाहता हूं।’ लड़के ने चिड़िया को याद किया। चिड़िया आ पहुंची। राजकुमारी ने लड़के को कई उपहार दे कर विदा किया। अपने गांव में पहुंच कर लड़के ने सारी बात बताई। जब भी राजकुमार का अपनी बहन से मिलने का मन करता, वह उसी चिड़िया को याद करता। उसके साथ वहां चला जाता। राजकुमारी भी कई बार वहां आई। इस तरह वे भाई-बहन के मजबूत रिश्ते में बंध गए। (उर्वशी)