जमीन पर भी चल सकती है ‘पर्च मछली’

‘मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है, हाथ लगाओ डर जाएगी, बाहर निकालो मर जाएगी’ मछलियों के बारे में भले ही आपने बचपन से ही ये बातें सुनी हों अर्थात् यह कहा जाता रहा है कि बिना जल के मछली के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती लेकिन ‘पर्च’ नामक मछली की एक प्रजाति ऐसी भी है, जो न सिर्फ  पानी से बाहर भी 12 घंटे तक जीवित रह सकती है बल्कि जमीन पर रेंगकर भी चल सकती है। अन्य प्रकार की मछलियों को पक्षी भले ही न छोड़ें पर पर्च मछली को पक्षी नहीं खाते। कारण है पर्च में पाए जाने वाले कांटे। आपको यह जानकर भी बड़ी हैरानी होगी कि इस मछली को सबसे पहले किसी जलस्रोत में नहीं बल्कि खजूर के एक पेड़ पर देखा गया था, यही वजह है कि इसे ‘आरोही मछली’ भी कहा जाता है। पूरे भारतीय प्रायद्वीप में पाई जाने वाली पर्च मछली ताजे पानी की मछली है, जो हमेशा एक बेहतर घर की तलाश में रहती है। इसके शरीर में एक विशेष आन्तरकर्ण अंग होता है, जिसके जरिये यह पानी के बाहर भी सांस ले पाती है। इसके गलफड़े अच्छी तरह विकसित नहीं होते। यही वजह है कि इसे सांस लेने के लिए बार-बार पानी की सतह पर आना पड़ता है। यदि पानी स्थिर हो जाए या फिर ज्यादा दूषित हो जाए तो यह पानी से बाहर आकर नए घर की तलाश शुरू कर देती है। पानी से बाहर यह करीब 12 घंटे तक जीवित रह सकती है, बशर्ते कि इसके गलफड़े तब तक गीले रहें। पानी से बाहर सांस लेने की अपनी अद्भुत क्षमता के कारण ही यह मछली वापस अपना रास्ता खोज लेती है।

-योगेश कुमार गोयल