चावल 1121 सहित बारीक धान व चावल में रिस्क नहीं

नई दिल्ली, 19 जनवरी (एजेंसी): बारीक चावल व धान में सरपट तेजी नहीं बन पा रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि बाजारों में रुपए की भारी तंगी होने से स्टॉक क्षमता कम हो गयी है। दूसरी ओर नीचे वाले भाव से बाजार काफी तेज होने के बाद ठहर गया है तथा इसमें पिछले एक पखवाड़े से 100/150 रुपए ऊपर-नीचे भाव हो रहे हैं। राइस मिलों में धान की भारी कमी होने से मंदे भाव पर पड़ता नहीं लग रहा है तथा ज्यादा ऊंचे भाव में निर्यातक माल नहीं खरीद रहे हैं। डोमेस्टिक मार्केट में ग्राहक न होने से निर्यातकों को मोनोपली चल रही है, लेकिन धान की किल्लत से वर्तमान भाव में कोई रिस्क नहीं है। गौरतलब है कि औसतन बरसात पूरे देश में सामान्य से कुछ अधिक ही हुई है, लेकिन समयानुकूल न होने से धान की फसल में कमी आ गयी है। इस बार जुलाई व अगस्त में उत्तर भारत के यूपी, हरियाणा, पंजाब एवं आधा मध्य प्रदेश में अच्छी बरसात हुई। बिहार में भी उक्त अवधि के अंतराल अच्छी बरसात हुई, लेकिन सितम्बर व अक्टूबर दो महीने पूरी तरह सूखा जाने से तैयार धान की फसल 40 प्रतिशत पैइया (पतली) हो गयी। यही कारण है कि मड़ाई के बाद धान की ढेरियां तो ऊंची-ऊंची दिखाई देती थीं, लेकिन मिलिंग के बाद चावल की उपलब्धता कम रही। व्यापारी एवं किसानों के अनुमान के मुताबिक इस बार बासमती प्रजाति के धान का उत्पादन 635-640 लाख टन से घटकर 450-460 लाख टन रह गया जिसमें चावल उत्पादन 275-280 लाख टन रह गया। इसमें भी पइया धान होने से 5 प्रतिशत टुकड़ा माल अधिक आया है, जिससे बढ़िया सेला व स्टीम एवं कच्चा बासमती चावल की उपलब्धि कम रही है। दूसरी ओर 1509 की पकाई इस बार 1121 के स्टीम से बढ़िया आ रही है, जिससे इसका स्टीम चावल लगभग बराबर भाव पर बिक रहे हैं। वहीं 1121 सेला 500 रुपए ऊंचा बिक रहा है। इस समय इसका सेला 6800 रुपए एवं 1509 सेला 6300 रुपए बिक रहा है, जबकि दोनों का स्टीम 7200/7300 रुपए थोक में चल रहे हैं। धान के भाव भी उक्त दोनों प्रजाति के 3150/3200 रुपए तथा 3600/3650 रुपए चल रहे हैं। इसके अलावा 1401 तथा 1408 धान की आवक मंडियों में काफी कम रह गयी है। दूसरे उत्पादक देशों में भी लैन्थ चावल की कम आ रही है, जिससे भारतीय चावल का निर्यात रुक-रुककर अच्छा हो रहा है। बाजार में रुपये की तंगी होने से डोमेस्टिक व्यापार काफी घट गया है। इसका लाभ उठाकर निर्यातक चलते बाजार को सिंडीकेट बनाकर रोक देते हैं, लेकिन मंडियों में धान की आवक टूट गयी है। चावल मिलों में राइस भी तैयार अधिक नहीं है।