माझा व दोआबा के गन्ना काश्तकार सड़कों पर काट रहे हैं सर्द रातें

फाज़िल्का, 19 जनवरी(दविन्द्र पाल सिंह): केन्द्र व प्रदेश की सरकारें जहां एक तरफ देश के किसानों के हकों के लिए बड़े बड़े दावे करती हैं, वहीं धुंध व सर्दी में सरकारों की बेरूखी का शिकार हुआ गन्ना काश्तकार जी.टी.रोड पर रातें काटने को मज़बूर हैं। केन्द्र व प्रदेश सरकार किसानों को फसली विभिन्नता के लिए अपील कर रही हैं ताकि भूमिगत पानी की बचत हो सके। किसान भी धान और गेहूं के फसली चक्कर से निकल कर गन्ने की काश्त की तरफ लोटे। मगर जब किसानों ने गन्ने की बिजाई शुरू की तो सरकारों की गन्ना काश्तकारों के प्रति सही नीतियां न होने के कारण पंजाब के काश्तकार इस समय भारी दुविधा में हैं। फाजिल्का सहकारी चीनी मिल की किसानों प्रति सही नीति न होने के कारण फाजिल्का जिले में किसानों के उनके बेचे गन्ने की पूरी अदायगी नहीं होने पर किसानों ने खड़ा गन्ना खेत जोत दिया। जबकि पंजाब की निजी मिलें इस सीजन में गन्ने के रेट को लेकर देरी से चली, जिस कारण विशेषकार दोआबा और माझा के गन्ने काश्तकार भारी परेशानी में आ गए। नवां शहर व भोगपुर इलाके  के किसानों को वहां की सहकारी व निजी मिलों ने गन्ना खरीद करने से इंकार कर दिया तो शूगर फैड पंजाब ने सैंकड़ों किमी दूर फाजिल्का सहकारी चीनी मिल उन्हें अलॉट कर दी। फाज़िल्का चीन मिल के बाहर जी.टी. रोड पर ज़िला गुरदासपुर के गांव जैनपुर के वासी तारा सिंह, कुलवंत सिंह, गांव चिट्टी के गुरप्रीत सिंह, सर्बजीत सिंह, भोगपुर के हरविन्द्र सिंह,लखविन्द्र सिंह पुरेवाल, जसविन्द्र सिंह, लखविन्द्र सिंह व अन्य किसानों ने बताया कि वह 300 किलोमीटर का सफर तय करके  पिछले 10-12 दिन से सड़क पर खड़े हैं। गुरदासपुर व भोगपुर मिलों ने उनका गन्ना लेने से हाथ खड़े कर दिए हैं। वह मजबूरी के कारण लंबा सफर तय करके फाजिल्का पहुंचे हैं। फाज़िल्का चीनी मिल के अधिकारी व कर्मचारी उन्हें परेशान कर रहे हैं। अगर गन्ने की बारी आ भी जाए तो जो किसान माझा व दोआबा से आए हैं। उन्हें ट्राली के पीछे 5-6 क्विंटल का कट लगा दिया जाता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। किसानों ने बताया कि एक तो 10 से 12 हजार रुपये का प्रति ट्रैक्टर डीज़ल फूंक जाता है, फिर 15-15 दिन यहां खड़कर ढाबे की रोटी खाकर गुजारा कर रहे हैं। फिर कटौती लगाकर उन्हें और परेशान किया जा रहा है। उन्हाेंने बताया कि जिन्हें टोकन मिल जाता है, उनसे मिल के गेट पर अभद्र व्यवहार किया जाता है। जब शाम ढलती है तो वह साथ लाए बिस्तरे चारपाई को ट्राली के नीचे रखकर आग जलाकर खुद को सर्दी से बचाते हैं। उन्होंने मांग की है कि अगर सरकारें गन्ने की पिड़ाई नहीं कर सकती तो वह किसानों को अधिक से अधिक गन्ना बीजने के लिए उत्साहित क्यों करती हैं। इस बारे में फाजिल्का सहकारी चीनी मिल के जी.एम. से सम्पर्क करने की कोशिश की गई तो वह कार्यालय में मौजूद नहीं थे और मोबाइल उठाना भी जरूरी नहीं समझा।