खोखली होने लगीं पंजाब के पहले थिएटरीकल हाल की दीवारें

अमृतसर, 22 जनवरी (सुरिन्दर कोछड़): पंजाब के पहले थिएटरीकल हाल व रंगमंच का केन्द्र माने जाते चित्रा टाकीज़ की दीवारें खोखली होनी शुरू होने लगी हैं और यह विरासती इमारत कभी भी ध्वस्त हो सकती है। लम्बे समय से बंद पड़े इस थिएटरीकल हाल के इतिहास बारे कला प्रेमियों को ज्यादा जानकारी न होने के कारण कभी किसी ने इसके दुखद अंत पर ‘हाय’ का नारा दिया। अमृतसर के हाल दरवाज़े के बाहर उक्त सिनेमा हाल की शुरुआत वर्ष 1909 में माहणा सिंह नागी (रामगढ़िया) ने की। उन्होंने 23 हज़ार की भूमि खरीद कर वहां मदन थिएटर कम्पनी कलकत्ता की सलाह पर थिएटर बनाना शुरू किया, जो वर्ष 1915 में मुकम्मल हुआ। सिनेमा हाल की इमारत के लिए नींव 20 फुट गहरी खोदी गई और उस पर 8 फुट चौड़ी दीवारें खड़ी की गईं। इस सिनेमा हाल के निर्माण में लगाई जाने वाली ईंटें माहणा सिंह ने अपने भट्ठे से विशेष रूप से बनवाकर लगवाईं जिन पर आज भी एम.एस. (माहणा सिंह) पढ़ा जा सकता है। सिनेमा हाल के तैयार होने पर इसका नाम ‘क्राऊन सिनेमा: माहणा सिंह थिएटरीकल हाल’ रखा गया, परंतु अधिकतर लोग इसे माहणा सिंह का मंडुआ कहकर सम्बोधित करते थे। 15 जून, 1915 को ज़िला के डिप्टी कमिश्नर सी.एम. किंग ने सोने की चाबी से सिनेमा हाल का दरवाज़ा खोलकर इसका उद्घाटन किया और सिनेमा हाल के ऊपर यूनियन जैक लगाने की मंजूरी दी।
इसके हाल में दो हज़ार दर्शकों के बैठने का प्रबंध था। इसके अलावा हाल के साथ ही नाटक पेश करने आए कलाकारों व पंजाब के दूरदराज शहरों से सिनेमा देखने आए दर्शकों के लिए एक रैस्टोरैंट व रहने के लिए होटल भी बनाया गया। उस समय यह पंजाब का पहला व सबसे बड़ा थिएटरीकल सिनेमा हाल था और इसके शो रात को 9.30 बजे शुरू होकर सुबह 5 बजे तक चलते थे। उस समय शहर में बिजली शुरू नहीं हुई थी, इसलिए सिनेमा की सजावट के लिए लगाई गई बाहरी लाइटें व प्रोजैक्टर को चलाने के लिए छोटे स्टीक इंजन लगाए गए।
उन दिनों लोगों को सिनेमा में फिल्म देखने की आदत न होने के कारण सिनेमा जल्द घाटे में जाने लगा। लोगों में दिलचस्पी पैदा करने के लिए 6 माह तक मुफ्त शो भी दिखाए गए। यहां तक कि थिएटर का नाम बदलकर पहले पर्ल थिएटर, फिर न्यू चित्रा थिएटर व चित्रा टाकी भी किया गया परंतु माहणा सिंह को यह सिनेमा कोई विशेष लाभ नहीं दे सका। माहणा सिंह के देहांत के बाद यह सिनेमा हाल वास्तविक रूप से ही बंद हो गया। उक्त स्मारक का रखरखाव करने वाले प्रबंधकों के अनुसार मौजूदा समय उक्त सिनेमा हाल के बाहर-अंदर बनीं दुकानें खाली करवा ली गई हैं और इसके नए मालिकाें द्वारा इसे ध्वस्त कर यहां विवाह-शादियों के लिए हाल व प्लाज़ा बनाए जाने की योजना बनाई गई है।