इटली का भूतिया शहर मटेरा अब बनेगा यूरोप की सांस्कृतिक राजधानी

मटेरा दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है। एक समय था जब यह इटली को शर्मसार करने वाला उसके माथे पर बदनुमा दाग था, लेकिन आज यह ऐसी सांस्कृतिक राजधानी है जिस पर गर्व किया जाता है। आखिर यह परिवर्तन कैसे आया ? फासीवाद का विरोध करने के लिए कार्लो लेवी को सज़ा के तौर पर इटली के बैसिलिक क्षेत्र में स्थित मटेरा में निर्वासित कर दिया गया था। मटेरा में जो जीवित रहने की स्थितियां थीं, उनका वर्णन करते हुए लेवी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि ‘दांते की नरक की जो कल्पना एक स्कूली छात्र कर सकता है’ मटेरा बिल्कुल वैसा है। लेकिन लेवी के लेखों व पेंटिंग्स ने अंतत: दूसरे विश्व युद्ध के बाद इटली में जो सरकार बनी उसे इस शहर को बंद करने के लिए मजबूर कर दिया। इसके शहरियों को जबरन पास में बनाये गये मकानों में भेज दिया गया। हाल के वर्षों में ही मटेरा ऐतिहासिक चमत्कार के रूप में उभर कर सामने आया है। लोगों को अब यहां मकान खरीदने की अनुमति है। लेकिन इस शर्त पर कि वह इन्हें रिनोवेट करेंगे। अब आहिस्ता-आहिस्ता यहां रेस्टोरेंट, गैस्ट हाऊस व दुकानें खुल गयी हैं, इस उम्मीद में कि मटेरा की बढ़ती लोकप्रियता पर्यटकों को आकर्षित करेगी और आय बढ़ेगी। ध्यान रहे कि मेल गिब्सन ने अपनी फि ल्म ‘द पैशन ऑफ  क्राइस्ट’ का काफी हिस्सा यहीं शूट किया था। 2019 में मटेरा यूरोप की सांस्कृतिक राजधानी बन जाएगा। दरअसल दुनिया में कुछ ही ऐसे शहर हैं जो मटेरा की तरह ऐतिहासिक घुमेर उत्पन्न करते हैं, एकदम से सिर्फ  बनारस, रोम, येरूशलम व पेट्रा के ही नाम ध्यान में आते हैं। इन शहरों में एक बात समान है कि इन्हें आज भी इनके ऐतिहासिक संदर्भों से अलग करके नहीं देखा जा सकता। मटेरा में लोग पहाड़ियों में गुफाएं काटकर उनमें रहा करते थे, इसलिए यहां जो रिहायशी क्षेत्रों और लैंडस्केप में संगम है वह खासतौर पर गजब का है। अब जबकि यह शहर पूर्णत: कुलीन व इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ पहले जैसा हो गया है तो कोई इसे स्लम के रूप में नहीं सोचेगा, जैसा कि हाल के दिनों तक इसे कहा जाता था। अधिकतर मकान गुफाओं का विस्तार हैं जो स्ट्रीट व टेरेस की भूल-भुलैया में खुलते हैं और वाइल्ड शहरी कल्पना को भी पीछे छोड़ जाते हैं। हां, मटेरा की विषम सुंदरता को समझने में इटली व दुनिया को दशकों लगे। यह मानव आर्टिफैक्ट किसी एक आर्किटैक्ट ने नहीं बनाया था बल्कि यह हजारों वर्ष के इतिहास में अज्ञात लोगों की पीढ़ियों ने विकसित किया है। यह आश्चर्यजनक है कि जिस आर्गेनिक आर्किटैक्चर को अविकास व कठिनाई का प्रतीक समझा जाता है, आज उसी का जश्न यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज के तौर पर मनाया जा रहा है। लोग गुफाओं में रहें- यह विचार इटली की आत्म-छवि के अनुरूप नहीं था, जो दूसरे विश्व युद्ध के बाद अपने को आधुनिक देश के रूप में प्रस्तुत करने के प्रयास में था। जब कार्लो लेवी ने ‘क्राइस्ट स्टोप्ड एट एबोली’ लिखी थी तो वह ग्रामीण इटली में किसानों की दयनीय स्थिति की आलोचना कर रहे थे न कि किसी विशेष जाति की। यह संभव था कि जो लोग गुफाओं में रह रहे थे, उनकी स्थिति भूमि रहित किसानों से बेहतर हो। शायद यही कारण था कि गुफाओं में रहने वालों ने दूसरी जगह भेजे जाने का वर्षों तक विरोध किया। बहरहाल, 1950 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री एल्सिदे डे गस्पेरी ने मटेरा को ‘इटली की शर्म’ कहा और इस पिछड़ी बस्ती के विरुद्ध अभियान छेड़ा। विरोधाभास देखिये कि जिन आधुनिक हाऊसिंग ब्लॉक्स में गुफाओं में रहने वालों को शिफ्ट किया गया था, वह अब मरम्मत किये गये ऐतिहासिक मटेरा की तुलना में बहुत बेकार लगते हैं। जब एकमार्गीय ‘विकास’ की दौड़ हावी थी तो आज जो हेरिटेज की रूप में अच्छा व ठीक है, वह रिहायशी क्षेत्र के रूप में पूर्णत: अस्वीकार्य था। उस दौड़ में रेट्रोफि टिंग मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर और लोगों को अपनी रहने की स्थितियों में सुधार लाने में मदद करना विकल्प ही नहीं था। एकमात्र रास्ता यह था कि लोगों को उनकी इच्छा के विरुद्ध मास हाऊसिंग में ठूंस देना। मटेरा के लिए इसका अर्थ था कि पूरे शहर को ही ‘भूतिया महल’ में बदल देना,जहां कोई रहता न हो। अगर उस समय उनका वश चलता तो पूरे शहर पर ही बुल्डोजर चला देते, लेकिन शुक्र है कि गुफाओं को आसानी से मिटाया नहीं जा सकता। आप यह न सोचें कि इस प्रकार की क्रूरता 50 व 60 के दशकों में ही होती थी, कड़वा सच यह है कि दुनिया के अनेक क्षेत्रों में ऐतिहासिक रिहायशी क्षेत्रों को ऐसे ही नष्ट किया जा रहा है। भारत में भी जहां लोग घनी बस्तियों में रह रहे हैं यही संकट है। कहीं पर भी देशज व स्वत: विकसित ताने-बाने व जातिविज्ञान पर अधिक ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यहां भी समाधान यही प्रतीत हो रहा है कि लोगों को मास हाऊसिंग में धकेल दिया जाये और प्राचीन बस्ती को शर्मनाक याद के तौरपर नष्ट कर दिया जाये। मटेरा के हज़ारों साल के इतिहास व उसके आधुनिकता में विवादित प्रवेश से निश्चित रूप से काफी कुछ सीखा जा सकता है- प्राचीन बस्तियों में अक्सर कुछ अमान्यता प्राप्त क्षमता होती है जो हमारी आधुनिक कल्पना में आने से रह जाती है। यही कारण है कि मटेरा पर्यटकों की विशेष लिस्ट का हिस्सा बनता जा रहा है।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर