विजय माल्या को झटका


अय्याश किस्म का अरबपति विजय माल्या जिसने भारत के दर्जनों बैंकों को धोखे में रख कर हज़ारों करोड़ रुपए के ऋण लिए थे, एक तरह से वह बैंकों के ऋण लौटाने से बचना चाहता था। 2 मार्च, 2016 को देश से भाग गया था। उस समय उस पर 9 हज़ार करोड़ रुपए का ऋण था, जो उसने किंगफिशर एयरलाइन्स  के नाम पर लिया था। यह एयर लाइन्स अब कब की बंद हो चुकी है। ऐसा बड़ा फरेब करके देश से भाग जाने से सरकार की किरकिरी हुई थी। बाद में विजय माल्या ने यह भी बयान दिया था कि इंग्लैंड जाने से पहले वह केन्द्रीय मंत्री अरुण जेतली को मिला था, जिसको अरुण जेतली ने पूरी तरह नकार दिया था। यह भारत सरकार के लिए नमोशी की बात थी, जिसको मोदी सरकार ने बेहद गम्भीरता से लिया था। अपनी ब्रिटेन की एक यात्रा के दौरान नरेन्द्र मोदी ने वहां की प्रधानमंत्री थेरेसा मे के साथ भी इस संबंध में बात की थी। 
पिछले महीने मोदी ने एक रैली में बोलते हुए कहा था कि जिस व्यक्ति ने देश के साथ धोखा किया है और उसको लूटा है उसको न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाएगा, चाहे वह व्यक्ति भारत में हो या बाहर हो। लंदन में भारत सरकार द्वारा चलाये गए केसों के कारण अप्रैल-2017 को विजय माल्या को गिरफ्तार कर लिया गया था, परन्तु फिर उसको ज़मानत पर रिहा कर दिया गया था। परन्तु अंतत: दिसम्बर-2018 को  वेस्टमिनिस्टर कोर्ट की मुख्य जज ऐमा आर्बुथनौट ने माल्या की भारत को सपुर्दगी संबंधी हरी झंडी दे दी थी। दूसरी तरफ माल्या इस केस को राजनीति से प्रेरित कहता हुआ यह भी दोष लगाता रहा कि वह मूल राशि देने को तैयार है और यह भी कि भारतीय जेलों की हालत दयनीय है, इसलिए उसको भारत न भेजा जाए। संबंधित जज ने उसकी सभी दलीलों को रद्द करते हुए यह हैरानी प्रगट की थी कि भारत के बैंक ऐसे ऐशप्रस्त व्यक्ति के धोखे में कैसे आ गए और उन्होंने अपने अधिकतर नियमों को ताक पर रख कर कैसे इस व्यक्ति को खुले दिल से ऋण दिए। यह बात हैरानी और आलोचना करने वाली है। चाहे माल्या को ब्रिटेन की हाईकोर्ट में जाने की दो सप्ताह की मोहलत मिल गई है। उसने ऐसा करने का इरादा भी प्रगट किया है, परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि यह किसी डूबते व्यक्ति के पानी में हाथ-पांव मारने वाली बात ही है। माल्या की भारत वापसी और कानून के कटघरे में खड़े होने का समय निकट आ चुका है। गत दिनों से पश्चिम बंगाल में शारदा चिट फंड घोटाले का शोर पड़ रहा है। इसको राजनीतिक रंगत दी जा रही है और राजनीतिज्ञ दोषियों को बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। परन्तु सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में सही फैसला लेते हुए संबंधित व्यक्तियों को पूछताछ के लिए पुन: केन्द्रीय जांच एजेंसी के सामने पेश होने की हिदायत दी है। इसी तरह नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे धनाढ्य भी कई बैंकों के साथ अनेक तरह की ठगियां मार कर देश से भाग गए हैं, जिनको पकड़ा जाना आवश्यक है। 
सरकार द्वारा इस दिशा में उठाए गए कड़े कदम ऐसे उच्च स्तर पर विचर रहे धोखेबाज़ों के हौसले पस्त करने में सहायक हो सकते हैं। शारदा चिट फंड घोटाले की तरह ही पंजाब में भी समय-समय पर अनेक ऐसी फज़र्ी कम्पनियां पैदा होती रही हैं, जो साधारण व्यक्तियों को अनेक तरह के झांसे देकर ठगती रही हैं और बाद में करोड़ों-अरबों रुपए की ठगी मार कर भाग जाती रही हैं। बैंकों और साधारण व्यक्तियों के साथ बड़ी धोखाधड़ी करने वाले ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ और भी कड़े कानून बनाये जाने ज़रूरी हैं ताकि देश की आर्थिकता को लग रहे ग्रहण को कुछ सीमा तक कम किया जा सके।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द