पेन का आविष्कार

लिखने का सभ्य समाज में बहुत महत्व है। इसके द्वारा इन्सान अपने विचार और जो काम किया उसका ब्यौरा व्यक्त, लिखने में सामर्थ होना और पेन के आविष्कार के पहले भी कई लिखने वाले औजार हुआ करते थे। इससे पूर्व आदमी अपनी उंगली को खून या जूस में डुबो कर लिखने का और चाक से लिखने का प्रचलन था। पूर्व में चीनी लोग ऊंट के बालों का ब्रश बनाकर लिखते थे। ऐसी धारणा है कि पहला पेन मिश्र के वासियों ने इजाद किया। इन लोगों ने तांबे के टुकड़े को आज जैसा नुकीला पोयांट को खोखले पौधे की शाखा में फिट करके लिखने का काम करते थे। पहला लिखने का अर्थात् चिट्ठी लिखना यूनानियों ने किया, जो लगभग 4,000 वर्ष पहले लिखा गया। जब मध्य युग में कागज़ का आगाज़ हुआ। कौवे और बत्तख के पंख से लिखा जाने का रिवाज़ (प्रचलन) शुरू हुआ। पेन शब्द लैटिन पन्ने से उत्पन्न हुआ है और जिसका मतलब है फैदर अर्थात् ‘पंख’ है। यह तरीका लगभग एक हज़ार साल प्रयोग में चलित रहा। स्टील पेन 1780 में इंग्लैंड ने बनाया था, लेकिन आने वाले 40 सालों में अच्छी प्रकार से चलन में नहीं आने में सफल नहीं हो पाया। आज जो फाउटन पेन वह अमरीका ने 1880  के दौरान बनाया। इसकी निब भी 14 कैरट सोने से बनती थी और उसमें एक बैरल अर्थात् रबर की ट्यूब में स्याही भारी जाती थी। उसकी निब का टिप ओसमीरिडिम और लिज्यिम की बनती है। जो बाल पेन का अविष्कार 20वीं सदी में हुआ है। यह क्रोम स्टील जिसका एक मिलीमीटर है। इसकी स्याही इसके अंदर फिट हुए रजरवायर अर्थात् स्टील की ट्यूब या प्लास्टिक की बैरल द्वारा होती है।

—राम प्रकाश शर्मा
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