बिजली अतिरिक्त, फिर भी बढ़ रहे बिल

जालन्धर, 10 फरवरी (शिव शर्मा) : हर वर्ष बिजली महंगी होने के बावजूद पावरकाम को हर वर्ष ही घाटा पड़ने का काम बंद नहीं हो रहा है, जिस कारण हर वर्ष ही बिजली के बिलों की रकमें बढ़ रही हैं तथा अब तो आम आदमी पार्टी द्वारा ज्यादा रकमों के बिजली के बिल आने को मुद्दा बनाने के साथ अब यह भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि भविष्य में राज्य में ज्यादा आने वाले बिजली के बिल ही मुद्दा बनने जा रहे हैं। राज्य में बिजली भी एकदम महंगी नहीं हो रही है अपितु अभी योजनाबंदी न करने के कारण ही पावरकाम को हर वर्ष वित्तीय तौर पर घाटा पड़ रहा है। इस समय राज्य की उन राज्यों में गिनती होती है, जिनके पास इस समय अतिरिक्त बिजली मौजूद है परन्तु वह इसकी किसी तरह भी प्रयोग नहीं कर सकता है। सरकारी बिजली प्लांट बिल्कुल बंद है। गर्मियों में बिजली की मांग 12500 मैगावाट तक चली जाती है परन्तु सर्दियों में यह मांग केवल 5000 मैगावाट रह गई है तथा सर्दियों के मौसम में ही पावरकाम को घाटा पड़ने का काम शुरू हो जाता है चाहे उसके पास अतिरिक्त बिजली मौजूद है परन्तु उसको हर वर्ष 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम बिजली बिना प्रयोग ही निजी थर्मल पड़ती है। निजी बिजली थर्मल प्लांट के पावरकाम के साथ समझौते हुए हैं कि उनको बिजली बिजली की खरीद करनी पड़ेगी परन्तु यदि पावरकाम बिजली की खरीद नहीं करता है तो उसको इसके तय चार्जिज देने पड़ेंगे। इस तरह से पावरकाम हर वर्ष अतिरिक्त बिजली होने के बावजूद निजी थर्मल प्लांट को करोड़ों रुपए देने के लिए मजबूर है। बिना बिजली प्रयोग जो रकमें कंपनियों को देनी पड़ती हैं परन्तु पावरकाम उस अतिरिक्त रकम को बिजली महंगी करने की दर में शामिल करता है तो बाद में बिजली और महंगी करके यह भाव आम उपभोक्ताओं पर डाल देता है। विधानसभा चुनावों से पहले ही निजी थर्मल प्लांट को बिना प्रयोग तय चार्जिज देने का मुद्दा कांग्रेसी नेताओं ने प्रमुखता से उठाया था कि वह सत्ता में आने के बाद समझौतों की समीक्षा करेंगे परन्तु फिलहाल यह मामला बंद हो चुका है। गत 5 वर्ष से ज्यादा समय में ही बिजली कई गुणा महंगी हो रही है।