इंजीनियरिंग कालेजों में दाखिला घटा, सीटें खाली, इमीग्रेशन सैंटर बढ़े

वरसोला, 13 फरवरी (वरिंदर सहोता) : पिछले लगभग 4-5 वर्षों से देश के विद्यार्थियों में विदेशों में जाकर पढ़ाई करने का रुझान तेज़ी से बढ़ा है। इस तरह देश और खासकर पंजाब के विद्यार्थी बड़ी संख्या में विदेशों को जा रहे हैं। इस रुझान के चलते देश के शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों की बड़ी कमी महसूस होने लगी है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि देश के इंजीनियरिंग कालेजों में विद्यार्थियों की 54 प्रतिशत सीटें खाली है। इस तरह विद्यार्थियों की कमी के कारण देश में 200 निजी  इंजीनियरिंग कालेज बंद हो चुके हैं और लगभग 800 कालेज बंद होने के किनारे हैं। यह खुलासा आल इंडिया टैक्नीकल एजुकेशन कौंसल द्वारा गठित की गई एक कमेटी ने किया है। वर्णनीय है कि इस कमेटी का गठन देश में बंद हो रहे इंजीनियरिंग कालेजों संबंधी जांच करने के लिए किया गया था। इस रिपोर्ट के बाद अब कौंसिल ने वर्ष 2020 से नए इंजीनियरिंग कालेजों को मान्यता न देने का फैसला लिया है। इसके साथ ही इस वर्ष 2019 के दौरान मान्यता के लिए आए केवल उन आवेदनों पर ही गौर किया जाएगा जो बहुत ज़रूरी होंगे। इस तरह यही हाल आई.टी. आईज़ का है।  इनमें भी विद्यार्थियों की संख्या दिन प्रतिदिन कम हो रही है। हालात यह हैं कि जो आई.टी. आई. कालेजों के पास 500 शिक्षार्थियों की सीटें हैं, उनमें सिर्फ 250 शिक्षार्थी आ रहे हैं। इस संबंधी जब कुछ निजी आई.टी. आईज़ के प्रबंधकों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि शिक्षार्थियों की संख्या कम होने के मुख्य कारण विदेशों को जाने लिए लगी दौड़ ही है। सरकार द्वारा आई.टी. आईज़ में शिक्षार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए कई वज़ीफा योजनाएं भी शुरू की हुई है परंतु इसके बावजूद हर वर्ष शिक्षार्थियों की संख्या कम हो रही है। इसको लेकर निजी आई.टी. आईज़ के प्रबंधक बेहद चिंतित हैं। दूसरी ओर पंजाब में विदेशों को जाने के बढ़े रुझान के चलते इमीग्रेशनों सैंटरों की गिनती में तेज़ी से वृद्धि हो रही है। हर शहर और कस्बे में यह सैंटर तेज़ी से खुल रहे हैं। अंदाज़न पंजाब में लगभग 11 हज़ार इमीग्रेशन सैंटर चल रहे हैं।