पुलवामा में फिदायीन हमला, 42 जवान शहीद

श्रीनगर, 14 फरवरी (भाषा, मंजीत सिंह) : जम्मू-कश्मीर के पुलवामा ज़िले में बृहस्पतिवार को जैश-ए-मोहम्मद के एक भीषण फिदायीन हमले में सीआरपीएफ के 42 जवान शहीद हो गये और कई अन्य बुरी तरह घायल हो गये। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों के अनुसार जैश के आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही बस को टक्कर मार दी, जिसमें 42 जवान शहीद हो गये। यह 2016 में हुए उरी हमले के बाद सबसे भीषण आतंकवादी हमला है। केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल के 2547 से अधिक कर्मी 78 वाहनों के काफिले में जा रहे थे। इनमें से अधिकतर अपनी छुट्टियां बिताने के बाद अपनी ड्यूटी पर लौट रहे थे। जम्मू-कश्मीर राजमार्ग पर अवंतिपोरा इलाके में लाटूमोड पर इस काफिले पर अपराह्न करीब साढ़े 3 बजे घात लगाकर हमला किया गया। पुलिस ने आत्मघाती हमला करने वाले वाहन को चलाने वाले आतंकवादी की पहचान पुलवामा के काकापोरा के रहने वाले आदिल अहमद के तौर पर की है। उन्होंने बताया कि अहमद 2018 में जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था। मौके पर मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि आत्मघाती हमलावर उस वाहन को चला रहा था जिसमें 100 किग्रा विस्फोट रखा हुआ था। वह गलत दिशा में वाहन चला रहा था और उसने जिस बस पर सीधी टक्कर मारी उसमें 39 से 44 सुरक्षा कर्मी यात्रा कर रहे थे। उन्होंने कहा,‘बस में कोई जीवित नहीं बचा।’ उन्होंने कहा कि अभी इस बात का सही ढंग से पता नहीं चल पाया है कि बस में कितने लोग सवार थे। अधिकारियों ने बताया कि सीआरपीएफ के 42 कर्मी शहीद हुए हैं और कुछ अन्य की हालत गंभीर है। उन्होंने घायल हुए लोगों की सही संख्या बताने से इंकार कर दिया। सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भाषा को दिल्ली में बताया,‘शव इतनी बुरी तरह क्षत-विक्षत हो चुके हैं कि चिकित्सकों के लिए हताहतों की वास्तविक संख्या बताना बहुत कठिन हो रहा है।’ उन्होंने बताया कि आतंकवादी संगठन ने इस घटना की ज़िम्मेदारी ली है। यह हमला श्रीनगर से करीब 30 किलोमीटर दूर हुआ है। विस्फोट में 20 से अधिक लोग घायल हो गये। धमाका इतना जबरदस्त था कि बस के परखच्चे उड़ गए और आस पास क्षत-विक्षत शवों को बिखरे देखा जा सकता है। सीआरपीएफ के महानिदेशक आर.आर.भटनागर ने भाषा को बताया,‘यह एक विशाल काफिला था तथा करीब 2547 सुरक्षाकर्मी विभिन्न वाहनों में जा रहे थे। काफिले पर कुछ गोलियां भी चलाई गईं।’ यह काफिला जम्मू से तड़के साढ़े 3 बजे चला था और माना जा रहा था कि इसे सूर्यास्त तक श्रीनगर पहुंचना था। अधिकारियों ने बताया कि घाटी लौट रहे कर्मियों की संख्या अधिक थी क्योंकि राजमार्ग पर पिछले 2-3 दिन से खराब मौसम और अन्य प्रशासनिक कारणों से कोई आवाजाही नहीं हो रही थी। आम तौर पर काफिले में करीब 1000 कर्मी चलते हैं किंतु इस बार कर्मियों की कुल संख्या 2547 थी। अधिकारियों ने बताया कि सड़क पर मार्ग को परखने के लिए एक दल को तैनात किया गया था और काफिले में आतंक निरोधक बख्तरबंद वाहन मौजूद थे। फारेंसिक एवं बम विश्लेषक दल मौके पर पहुंच गये हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड का एक दल शुक्रवार को कश्मीर के लिए रवाना होगा ताकि जांच में मदद की जा सके। अधिकारियों ने बताया कि हमले के केन्द्र में रही बस बल की 76वीं बटालियन की थी और उसमें 39 कर्मी सवार थे। कश्मीर घाटी में सीआरपीएफ के महानिरीक्षक (अभियान) जुल्फिकार हसन ने इसे वाहन से किया गया हमला करार दिया और कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मामले की जांच अपने हाथ में ली है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर 2001 में हुए आत्मघाती कार बम हमले के बाद इस तरह का यह दूसरा हमला है। इससे पहले वाले हमले में 3 आत्मघाती हमलावर सहित 41 लोग मारे गये थे। सितम्बर 2016 में उरी सैन्य अड्डे पर जैश आतंकवादियों के हमले में सेना के 18 जवान शहीद हुए थे और कई अन्य घायल हो गये थे। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की थी। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान ने हमले को गम्भीर चिंता का विषय बताया तथा पाक का हाथ होने के आरोप को निराधार बताया।