सूर्य चमक पड़ा

सूर्य आठवीं कक्षा में पढ़ता था। उसे विद्यालय में अनुपस्थित रहने की आदत थी। उसके कक्षा अध्यापक उसको प्रत्येक ढंग से हर रोज़ विद्यालय आने के लिए कह चुके थे, परन्तु वह उनकी नसीहत की ओर किंचित मात्र भी ध्यान नहीं देता था। एक दिन उसके विद्यालय में गणित के विषय का नया अध्यापक आया। उसे सूर्य की कक्षा का इंचार्ज अध्यापक बना दिया गया। गणित अध्यापक ने सूर्य को कक्षा में से अनुपस्थित होते देख कक्षा के बच्चों को पूछा—‘बच्चो, यह बच्चा विद्यालय से इतना अधिक अनुपस्थित क्यों रहता है? कक्षा का मोनिटर बोला—‘सर, इस बच्चे का नाम सूर्य है। वह अपनी इच्छा से ही विद्यालय आता है। उसे पहले कक्षा इंचार्ज अध्यापक ने बहुत बार हर रोज़ विद्यालय आने के लिए कहते रहे। परन्तु उसने उनकी बात नहीं मानी।’ नए कक्षा इंचार्ज अध्यापक मोनिटर की बात सुनकर मन में निर्णय लिया कि वह सूर्य को किसी न किसी ढंग से हर रोज़ विद्यालय आने के लिए तैयार करेगा। एक दिन सूर्य विद्यालय आ गया। नए कक्षा अध्यापक ने उसे अपने कमरे में अलग बुला कर पूछा कि वह हर रोज़ स्कूल क्यों नहीं आता? सूर्य ने अपने विद्यालय न आने के कई कारण बताए। परन्तु अध्यापक ने उसके किसी भी बहाने को विद्यालय ना आने का कारण नहीं माना। आखिर उसे सच बोलना ही पड़ा। अपने विद्यालय न आने का कारण बताना ही पड़ा। उसने कहा—‘सर, मुझे गणित का विषय बहुत कठिन लगता है। गणित के सवाल न आने पर अध्यापक मुझे डांटते हैं। इसीलिए मैं विद्यालय नहीं आता। अध्यापक ने उससे पूछा—‘बेटा, क्या तुम गणित के सवाल समझने के लिए मेहनत नहीं करता? अध्यापक से नहीं पूछता?’ सूर्य ने आगे से उत्तर दिया—‘सर, मैं मेहनत तो करता हूं। परन्तु मुझे गणित का विषय कठिन लगता है।’अध्यापक ने आगे से कहा—‘बेटा, मैं तुम्हारी तरह ही गणित के विषय को कठिन समझता था। परन्तु विद्यालय हर रोज़ जाता था। मैंने मेहनत करनी नहीं छोड़ी। मैंने अपना आत्मविश्वास कम नहीं होने दिया। मुझे जो कुछ नहीं आता था, वह सभी कुछ मैं अपने अध्यापक से पूछ लेता था।  आज गणित का विषय मुझसे डरता है। तुम हर रोज़ स्कूल आओ। अपने आप में आत्मविश्वास उत्पन्न करो। तुम मेहनत करनी शुरू करो। तुम्हारी प्रत्येक समस्या का मैं समाधान करूंगा। सूर्य को अध्यापक की नसीहत समझ आ गई। उसका हौसला बढ़ गया। उसका आत्मविश्वास जाग पड़ा। वह हर रोज़ विद्यालय आने लग पड़ा। उसे जब भी कोई सवाल कठिन लगता, वह उसी समय गणित अध्यापक के पास पहुंच जाता। उसकी गणित अध्यापिका बहुत हैरान थी कि उसमें इतना परिवर्तन कैसे आ गया। उसकी गणित अध्यापिका ने उसे कहा—‘सूर्य यदि तुम इसी तरह मेहनत करते रहे तो तुम होशियार बच्चों में आ जाओगे।’ गणित अध्यापिका के इन प्रेरणादायक शब्दों ने उसका हौसला बढ़ा दिया। मेधावी बच्चों में आने की बात सुनकर उसका आत्मविश्वास बढ़ गया। उसके हर रोज़ होने वाले टैस्ट पहले से अच्छे होने लगे। आठवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा हुई। वह अच्छे अंक लेकर वार्षिक परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ। वह अपने गणित विषय के अंक दिखाने के लिए सबसे पहले अपने कक्षा के इंचार्ज अध्यापक के पास पहुंचा जिसने उसमें आत्मविश्वास पैदा किया था। उसके अध्यापक ने उसे कहा—‘बेटा, अब सूर्य चमक पड़ा है।’

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