इस माह के बाद देसी चने में तेज़ी

नई दिल्ली, 16 फरवरी (एजेंसी): इंदौर की मंडियों में नया माल आ रहा है, लेकिन प्रति हैक्टेयर उत्पादकता घटने से वहीं पर ही बाजार ऊंचे चल रहे हैं। फिलहाल नेफेड के माल मंदा बिकने से दाल मिलों को पड़ता लग रहा है, लेकिन अब बिकवाली बंद होने की संभावना है, जिससे बाजार आगे चलकर तेज लग रहा है तथा मार्च माह में यह भाव देखने को नहीं मिलेंगे। राजस्थान में फसल का रुख बढ़िया नहीं है। नोहर, भादरा, सवाईमाधोपुर, बीकानेर लाइन में तीन दिनों से बादल लगने के बाद आज मौसम साफ रहा। उत्तर भारत की किसी भी दाल मिल में देशी चने का स्टॉक नहीं है। मिल वाले केवल बिक्री के हिसाब से माल खरीद रहे हैं। अत: स्टॉकिस्टों की लिवाली नये माल में आते ही देशी चना दिल्ली 5000 रुपए बन जाएगा। अभी लारेंस रोड पर 4350/4400 रुपए के भाव चल रहे हैं। यूपी में चना व मसूर की फसल को नुकसान पहुंचा है। यूपी से लगते एमपी के भागों में भी बरसात से फसल प्रभावित हुई है। अत: नेफेड की बिकवाली कमजोर पड़ते ही चना उछल जाएगा। डिब्बे में भी डिलीवरी अधिक नहीं है। वर्तमान भाव पर देशी चने का व्यापार बहुत जल्द लाभ देने वाला है। देशी चने की खड़ी फसल राजस्थान, एमपी में अनुकूल नहीं है। खेतों में फली कम दिखाई दे रही है। दूसरी ओर ग्रोथ कम होने से दाने भी इस बार छोटे हैं। इसका प्रभाव यील्ड पर पड़ेगा। उक्त उत्पादक राज्यों में इस बार बिजाई कम रही। दूसरी बात जरमिनेशन कम रहा तथा तीसरी बात ग्रोथ कम होने से देशी चने के उत्पादन में भारी कमी का अंदेशा बना हुआ है। वर्तमान भाव को देखकर आगे का चना बेचकर नहीं चलना चाहिए। अन्यथा डिलीवरी देनी मुश्किल हे जाएगी। रही बात डिब्बे की तो उसमें डिलीवरी देने एवं लेने दोनों में ही मोनोपली चलती है। बाजार में चचा है कि भारी तेजी आने पर हल्के माल की डिलीवरी हो जाती है तथा मंदा आने पर बढ़िया माल मिलता है। यहां 4300/4350 रुपए खड़ी मोटर में एमपी-राजस्थान का चना बिक रहा है।