गरीबों को भी है जीने का अधिकार


हमारे देश में लगभग 65 करोड़ जनता ऐसी है, जिसे ढंग से रोटी नहीं मिलती है,  हमारे देश की आधी आबादी से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। वह किसी तरह दो वक्त की रोटी जुटाने में लगे रहते हैं, तो उन्हें स्वस्थ रखना किसकी ज़िम्मेदारी है? यह सरकारों को स्पष्ट करना चाहिए। कई ऐसे लोग हैं हमारे देश में जो आज भी दूषित पानी पीते हैं और उसी से खाना भी बनाते हैं और खाते हैं। 
छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों तक काफी प्रतिशत जनता आर.ओ. का पानी पीती है, लेकिन जो गरीब जनता और बच्चे हैं, उन्हें तो शायद आर.ओ. का मतलब ही पता नहीं है। क्योंकि गरीबों की दुनिया में शुद्ध जल, शुद्ध भोजन, दवाईयां आदि मिलते ही नहीं हैं। अनाज से लेकर सब्ज़ियों और फलों को बड़ा करने के लिए दवाइयों का जो छिड़काव किया जाता है, उससे हमारा स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। 
ऐसा लगता है हमारे देश में दो भारत बसते हैं, गरीबों का और अमीरों का। बेहतर स्वास्थ्य के लिए शराब, सिगरेट, नशे की गोलियों का उपयोग गलत बात है और इसे रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना ज़रूरी है। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तो काम ज्यादा करेंगे लोग और उन्हें मन की शांति भी प्राप्त होगी।
—डा. एम. एल. सिन्हा