पुलवामा हमले से देश में रोष की लहर


जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को हुए बड़े आतंकी हमले में सी.आर.पी.एफ. के जवानों की शहादत से जहां सारे देश में शोक की लहर फैल गई है वहीं पाकिस्तान के  खिलाफ आक्रोश भी अब चरम सीमा पर है। 
हालांकि पाकिस्तान की सरजमीं पर पल रहे आंतकियों द्वारा इससे पूर्व भी अपने नापाक मंसूबों को पूरा करते हुए सन् 1993 में मुंबई में सीरियल ब्लास्ट, सन् 2001 में भारतीय संसद पर हमला, सन् 2002 में अक्षरधाम मंदिर पर हमला, सन् 2005 में दिल्ली सीरियल ब्लास्ट, सन 2006 में मुंबई लोकल ट्रेन धमाके , स्न 2008 में जयपुर ब्लास्ट और इसी वर्ष असम में किए धमाक ों के साथ-साथ सन् 2015 में पंजाब के गुरदासपुर में और 2016 में पठानकोट में भी आतंकी हमले को अंजाम दे चुके हैं जो कि बहुत बड़े हमले थे जिसमें भारी संख्या में लोगों ने अपनी कीमती जानें गंवाई। परंतु 14 फरवरी को जिस तरीके से आतंकियों ने हमारे जवानों पर हमला किया है उससे पूरे देश के सब्र का प्याला छलक उठा है और अब पाकिस्तान को अच्छी तरह से मुंह तोड़ जवाब देने और उसके आतंकियों को खाक में मिलाने के लिए पाकिस्तान से आर पार की लड़ाई के  अलावा वर्ष 2016 मेें की गई सर्जिकल स्ट्राइक जैसी दूसरी सर्जिकल स्ट्राइक करने की भी जरूरत है। 
इस हमले के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने अब पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए कड़ा रूख अपनाते हुए पाकिस्तान से सबसे तरजीही देश का दर्जा वापस ले लिया है। इसके साथ-साथ एक अहम फैसला और लेते हुए पाकिस्तान से आयातित सामान पर 200 प्रतिशत शुल्क लगाने और एक अन्य फैसले में जम्मू-कश्मीर के 6 अलगाववादी नेताओं से सुरक्षा वापस ले ली गई है।
 सरकार द्वारा बेशक इस हमले के बाद उक्त फैसले लेकर पाकिस्तान को सबक सिखाने का प्रयास किया गया है परंतु सरकार द्वारा लिए गए ये फैसले पाकिस्तान और उसकी धरती पर पल रहे आतंकियों को पूरी तरह से खत्म करने में नाकाफी हैं। इसलिए सरकार को अब देर न करते हुए कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है और शहीद हुए जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए दूसरी  सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई को अंजाम देने की जरूरत है ताकि हमारे देश के जवानों का बलिदान व्यर्थ ना जाए।
-एस.ए.एस नगर