आगामी क्रिकेट विश्व कप में हमारा चौथा तेज गेंदबाज कौन होगा ?

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली लम्बे समय से टीम में लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाज की आवश्यकता पर बल दिए जा रहे हैं। पूछिए क्यों? दरअसल नियमों के लिहाज से एक दिवसीय क्रिकेट का फॉर्मेट बहुत अधिक बल्लेबाजों के पक्ष में है। इसलिए टीमें ऐसे गेंदबाजों की तलाश में रहती हैं जो सामान्य से कुछ अलग हों यानी उनमें एक्स-फैक्टर हो ताकि बल्लेबाजों को उन्हें रीड करने में कठिनाई हो और वह अपना विकेट गंवा बैठें, विशेषकर जब उन पर तेज गति से रन बनाने का दबाव हो। यही वजह है कि छोटे फॉर्मेट में रिस्ट स्पिनर (जैसे कुलदीप यादव, युज्वेंद्र चहल, इमरान ताहिर, राशिद अदील) और लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाज (जैसे ट्रेंट बोल्ट, मिशेल स्टार्क, मुहम्मद आमिर) को अच्छी सफलता मिलती है। लेकिन इंग्लैंड, जहां विकेट तेज गेंदबाजों के अनुकूल होती हैं, में कुछ माह बाद होने जा रहे विश्व कप से पहले भारत जो अंतिम अंतर्राष्ट्रीय सीरीज खेलेगा (ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध) उसके लिए चयनकर्ताओं ने किसी लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाज का चयन नहीं किया है, जिसका अर्थ है कि विश्व कप के लिए जो टीम चुनी जायेगी उसमें चौथे तेज गेंदबाज की जगह खाली है क्योंकि मुहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार व जसप्रीत बुमराह का चयन तो लाजमी है। साथ ही ऐसा प्रतीत होता है कि फिलहाल के लिए लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाज की तलाश पर विराम लग गया है। वैसे लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाज की तलाश पुरानी है और यह अजीब लगता है क्योंकि एक समय था जब भारत के पास जहीर खान, इरफान पठान, आशीष नेहरा व आरपीसिंह जैसे अच्छे लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाज थे, और ऐसा भी होता था कि एक मैच में केवल लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाज ही खेल रहे हों। बहरहाल, 2015 दिसम्बर में दिल्ली की एक सर्द शाम में चयनकर्ताओं के तत्कालीन प्रमुख संदीप पाटिल ने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध ओडीआई टीम की घोषणा करते हुए एक अनसुने नाम बरिंदर सरन का नाम लिया। अपने निर्णय को उचित ठहराते हुए पाटिल ने कहा था, ‘हमारी एक दिवसीय टीम में एकरूपता आ गई है, हमें कुछ अलग की तलाश थी।’ उसी मीटिंग में आशीष नेहरा की भी टी-20 टीम में वापसी हुई । वह भी चार वर्ष के लम्बे गैप के बाद। इससे दो महीने पहले श्रीनाथ अरविंद को भी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ धर्मशाला में अवसर दिया गया था और उन्होंने अपना एकमात्र टी-20 खेला। संदेश स्पष्ट था- भारतीय टीम प्रबंधन लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाज के लिए उतावला हो रहा था। दोनों सरन व अरविंद बिना कोई जलवा दिखाये गुम हो गये और नेहरा की सेवाएं टी-20 तक सीमित रहीं, अक्तूबर 2017 में उनकी रिटायरमेंट की घोषणा तक। इस बार, 15 फरवरी की चयनकर्ता बैठक से पहले ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सीमित ओवेरों की घरेलू शृंखला के लिए जयदेव उनाद्कट का नाम चर्चा में था। उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ  निराशाजनक टी-20 सीरीज खेली थी, लेकिन बाद में रणजी ट्राफी में शानदार प्रदर्शन किया था। बोर्ड ने सितम्बर में विशिष्ट लेफ्ट आर्म थ्रो डाउन से अनुबंध किया, इस समस्या का समाधान करने के लिए। दरअसल यह समस्या बोर्ड की अपनी खड़ी की हुई है। बार-बार टीम में फेरबदल करने से चौथे तेज गेंदबाज की जगह अनिश्चित है। अगर शमी का ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैण्ड में प्रदर्शन अच्छा न होता तो चौथे क्या, तीसरे तेज गेंदबाज की भी तलाश होती। खलील को ही हाल के दिनों में सिराज, सिद्धार्थ कौल, उमेश यादव व चाहर पर वरीयता दी गई है। अब दोनों खलील व उमेश टीम में नहीं हैं, जिसका अर्थ है कि अनिश्चितता है। अब टीम प्रबंधन के समक्ष अनुभव व रॉ टैलेंट के बीच चयन का मसला है। उमेश के पास विश्व कप में गेंद करने का अनुभव है। अगर वह जाते हैं तो 2015 विश्व कप के ही तेज गेंदबाज दोहराये जायेंगे बस इनमें बुमराह को शामिल कर दिया जायेगा। खलील में अभी अनुभव की कमी है। उन्हें अभी सीखना है और बेहतर होना है। फिलहाल के लिए शमी, भुवनेश्वर व बुमराह का फॉर्म अच्छा है। लेकिन अगर इनमें से कोई चोटिल हो जाता है और तेज गेंदबाजों के अनुकूल स्थितियों में हार्दिक पंड्या के अतिरिक्त तीन जेन्युइन तेज गेंदबाज खिलाने की ज़रूरत पड़ी तो क्या होगा? इसलिए चौथे तेज़ गेंदबाज की तलाश तो करनी ही होगी।