विश्व कप की प्रतिष्ठा से जुड़ा है भारत-पाक मैच

पुलवामा आतंकी हमले में 44 जवानों की शहादत के बाद से देशभर में आक्रोश की ऐसी लहर चली है कि आर्थिक मामलों को लेकर हो या खेल के मैदान में, हर जगह इस हमले का सूत्रधार पाकिस्तान भारत की जनता के गुस्से का शिकार है। यही कारण है कि पिछले दिनों जहां दो पाक खिलाड़ियों को भारत में खेलने के लिए वीजा नहीं दिया गया और चूंकि मामला देश की सुरक्षा और आत्म-सम्मान से जुड़ा है, इसलिए अब विश्व कप में भी पाकिस्तानी टीम का बॉयकाट करने की मांग प्रबल हो रही है। आमजन तो क्या, खेल जगत की कई महत्वपूर्ण हस्तियां भी खेल के मैदान में पाकिस्तान का बॉयकाट करने का खुलकर समर्थन करती दिखाई दी हैं और इसीलिए विश्व कप के 16 जून को मैनचेस्टर में होने वाले भारत-पाक मुकाबले को लेकर सस्पेंस बरकरार है। वैसे वर्ल्ड कप में यह भारत का इतिहास रहा है कि उसने भले ही यह खिताब हर बार नहीं जीता हो किन्तु वह वर्ल्ड कप में पाकिस्तान से कभी नहीं हारा। भारत हालांकि विश्व कप का बहिष्कार तो नहीं करेगा किन्तु हो सकता है कि विश्व कप टूर्नामेंट में भारत पाकिस्तानी टीम के साथ न खेले और इस स्थिति में पाकिस्तान के साथ न खेलने को लेकर भारत को दो अंक गंवाने पड़ेंगे। इन्हीं दो अंकों के चलते भारतीय खेल जगत दो खेमों में बंटा है। सचिन तेंदुलकर सहित एक खेमा चाहता है कि भारत को मैच न खेलने की वजह से दो अंक गंवाने के बजाय पाकिस्तान को मैदान में हराना चाहिए जबकि दूसरा खेमा चाहता है कि विश्व कप में जीतने से बड़ा भारतीय टीम के लिए देश का आत्मसम्मान और देश की सुरक्षा का मामला है और पाकिस्तान के साथ न खेलकर पूरी दुनिया को एक कड़ा संदेश दिया ही जाना चाहिए। सही भी है कि एक ओर हम पाक प्रायोजित आतंकवाद के चलते पुलवामा में अपने 44 वीर जवानों को गंवा चुके हैं और आए दिन इसी तरह के आतंकी हमलों के चलते देश में सैन्य बलों सहित आम नागरिक भी शहीद हो रहे हैं, ऐसे में अगर पाकिस्तान से न खेलने की वजह से दो अंक गंवा भी देते हैं तो वो इन जवानों की शहादत के समक्ष बहुत छोटी चीज होगी। इससे पहले 2003 के वर्ल्ड कप में इंग्लैंड की टीम ने भी सुरक्षा कारणों से जिम्बाब्वे में खेलने से इन्कार कर दिया था और उसे अपने चार प्वाइंट्स खोने पड़े थे लेकिन इंग्लैंड को उसका कोई अफसोस नहीं था। गृहमंत्री राजनाथ सिंह तो अपनी निजी राय व्यक्त करते हुए कह चुके हैं कि चाहे जितना भी नुकसान हो, भारत को विश्व कप में पाकिस्तान के साथ नहीं खेलना चाहिए। वैसे 46 दिनों तक चलने वाले वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में चूंकि भारत-पाक के बीच मैच 16 जून को खेला जाना है और संभावना जताई जा रही है कि अगर आने वाले दिनों में पाकिस्तान की ओर से दोनों देशों के रिश्तों में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाते हैं तो संभव है कि तब मैच खेलने का फैसला ले लिया जाए। सीओए अध्यक्ष विनोद राय ने कहा भी है कि 16 जून अभी दूर है और हम सरकार से विचार-विमर्श के बाद इस पर बाद में फैसला करेंगे। फिलहाल बीसीसीआई हो या सीओए अथवा खेल जगत से जुड़ी अन्य हस्तियां, सभी ने पाकिस्तान के साथ खेलने या न खेलने का निर्णय पूरी तरह सरकार पर ही छोड़ दिया है। इससे पहले 1999 में जब कारगिल युद्ध चल रहा था, तब भी ऐसे ही हालात पैदा हुए थे और मैच रद्द करने की मांग उठी थी लेकिन उस वक्त इंग्लैंड में ही खेले जा रहे विश्व कप में दोनों एक-दूसरे के विरूद्ध खेले थे और भारत ने उस मैच में पाकिस्तान को धूल चटाई थी। उस मैच में भारत ने पाकिस्तान को 47 रनों से रौंदा था। मैच वाले दिन कारगिल में तीन पाकिस्तानी जवान मारे गए थे जबकि तीन भारतीय अधिकारी भी वीरगति को प्राप्त हुए थे। 1999 के बाद तो पाकिस्तानी टीम कई बार भारत में भी खेलने आई। हालांकि पहले भी दोनों देशों के बीच लंबे-लंबे समय तक मैच नहीं खेले गए। 18 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद 1978 में दोनों के बीच क्रिकेट संबंधों की पुन: शुरूआत हुई थी। वैसे दोनों देशों ने 2008 के मुम्बई हमलों के बाद से कोई भी द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेली है और पाकिस्तान को विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय क्रिकेट टूर्नामेंट आईपीएल से भी बाहर रखा गया है। कहा यह भी जा रहा है कि बीसीसीआई पाकिस्तान को विश्व कप से बाहर कराने की कोशिशों में लगा है किन्तु खेल विशेषज्ञों का इस बारे में स्पष्ट मत है कि ऐसा हो पाना संभव नहीं है। दरअसल पाकिस्तान करीब सात दशकों से टैस्ट क्रिकेट खेल रहा है और 1992 में विश्व कप भी जीत चुका है। दूसरी ओर भारत के पास आईसीसी में बहुमत भी नहीं है और अगर आईसीसी में इस मामले पर वोटिंग होती है तो भारत की हार निश्चित है लेकिन अगर बीसीसीआई पाकिस्तान को विश्व कप से बाहर करने के लिए जिद पर अडिग रहता है तो आईसीसी के लिए विकट समस्या अवश्य उत्पन्न होगी क्योंकि बीसीसीआई की अनदेखी करना भी इतना आसान नहीं है। पहला कारण तो यही कि टीम इंडिया दो बार पचास ओवरों वाला विश्व कप तथा एक बार टी-20 विश्व कप जीत चुकी है। इसके अलावा फिलहाल आईसीसी रैंकिंग में टैस्ट में नंबर वन जबकि वनडे में दूसरे पायदान पर है और विश्व कप जीतने के सबसे प्रबदल दावेदारों में से एक है। दूसरी ओर चूंकि बीसीसीआई दुनिया का सर्वाधिक अमीर और लोकप्रिय क्रिकेट बोर्ड है, इसलिए अगर बीसीसीआई ने उसकी मांग न माने जाने पर कड़ा फैसला लेते हुए विश्व कप के बहिष्कार का ही निर्णय ले लिया तो दुनियाभर के खेल प्रेमियों के लिए विश्व कप का सारा मजा ही किरकिरा हो जाएगा। बहरहाल, भारत पाकिस्तान के साथ 16 जून को विश्व कप में पाकिस्तान के साथ खेलेगा या नहीं, इस पर पूरी दुनिया की नजरें इसलिए भी केन्द्रित हैं क्योंकि यह मैच विश्व कप टूर्नामेंट की प्रतिष्ठा तथा कमाई के दृष्टिगत बेहद महत्वपूर्ण है।