डीजीपी विवाद- मुस्तफा व चटोपाध्या की याचिका पर ‘कैट’ द्वारा यू.पी.एस.सी. व पंजाब सरकार को नोटिस


चंडीगढ़, 5 मार्च (विक्रमजीत सिंह मान) : पंजाब पुलिस प्रमुख की नियुक्ति के दौरान अनदेखा किये जाने से नाराज़ सीनियर आई.पी.एस. अधिकारी मुहम्मद मुस्तफा के बाद डीजीपी स्तर के अधिकारी सिद्धार्थ ने भी आज इस मामले में सवाल उठाते हुए केन्द्रीय प्रशासकीय ट्रिब्यूनल (कैट) में याचिका दायर कर दी। कैट द्वारा आज दोनों अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपीएससी, पंजाब सरकार, केन्द्र सरकार व मौजूदा डीजीपी दिनकर गुप्ता को नोटिस जारी किया गया है। इन सभी को 27 मार्च तक जवाब तलब किया गया है। जानकारी के अनुसार मामले की अगली सुनवाई 5 अप्रैल को रखी गई है।
इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट जा चुके डीजीपी स्तर के अधिकारी मुहम्मद मुस्तफा जोकि पंजाब में नशों के खिलाफ गठित की गई स्पैशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के प्रमुख रह चुके हैं और अब पंजाब राज्य मानवाधिकार आयोग के डीजीपी के रूप में सेवाएं दे रहे हैं, ने कैट में दर्ज याचिका में की मांग में कहा है कि डीजीपी पद के लिए दिए आईपीएस अधिकारियों के पैनल पर विचार के समय यूपीएससी ने उन्हें गलत ढंग से अनदेखा कर दिया। अपनी याचिका में उनके द्वारा दिनकर गुप्ता की डीजीपी पद पर नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग भी उठाई है। जानकारी के अनुसार मुस्तफा ने अपनी याचिका में कहा कि प्रदेश के डीजीपी पद के लिए यूपीएससी द्वारा निर्धारित किए गए तीनों पैमानों को वह पूरा करते हैं, परंतु उन्हें इसलिए अनदेखा कर दिया गया क्योंकि इस मामले में यूपीएससी को राज्य सरकार ने अंधेरे में रखा ताकि वह इस पद पर अपने पसंदीदा अधिकारी को तैनात कर सके। मुस्तफा ने यह भी दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस पद के लिए जो पैमाना निर्धारित किया गया था, उसके मुताबिक भी वह सही उतरते थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने सितम्बर 2018 में पंजाब पुलिस एक्ट के एक अनुच्छेद  में संशोधन कर, प्रदेश स्तर पर गठित एक कमेटी को डीजीपी पद के लिए पैनल बनाने का अधिकार दे दिया और इस संशोधन का उद्देश्य केवल यही थी कि राज्य सरकार डीजीपी की नियुक्ति पर अपना नियंत्रण रखना चाहती है। मुस्तफा ने यह भी आरोप लगाया कि पंजाब सरकार ने यूपीएससी के सामने कुछ अधिकारियों बारे तथ्य भी छुपाए हैं। मुस्तफा ने कैट से अपील की है कि दिनकर गुप्ता को डीजीपी नियुक्त किए जाने के 7 फरवरी, 2019 के आदेश को रद्द किया जाए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित पैमाने के अनुसार वह इस पद के लिए गुप्ता से ज्यादा योग्य हैं। इसके साथ ही मुस्तफा ने यू.पी.एस.सी. को निर्देश जारी करने की मांग की है कि वह पूर्व डीजीपी सुरेश अरोड़ा को अलग कर नई कमेटी गठित करे और तीन सबसे वरिष्ठ अधिकारियों का एक नया पैनल बनाकर उन पर विचार करे। उधर आईपीएस अधिकारी चटोपध्याय नेभी अपनी याचिका में कहा है कि वह भी मौजूदा पुलिस प्रमुख से सीनियर हैं और मैरिट के आधार पर भी वह गुप्ता से आगे हैं। इसलिए उन्हें डीजीपी नियुक्त करना बनता था।