ब्रह्मांड के रहस्यों को खोलने वाले स्टीफन हॉकिंग

ज़िन्दगी और मौत के बीच चेतना की दूरी का राज आज के समय तक भी साधारण इन्सान के दायरे से बाहर ही रहा है। भविष्य में भी इसके आसार आज तक नामुमकिन ही रहे हैं। अगर सही मायनों में देखा जाए तो धरती के बहुत सारे इन्सान ज़िन्दगी को सिर्फ ऊपरी नज़र के साथ ही जीते हैं। लेकिन गहराई के साथ लाभ-रहित काम करने और ज़िन्दगी के लिए कार्यकारी योजना बनाने के काम करने वाले कुछ अलग ही महान लोग होते हैं। जो मेहनत के द्वारा ही आज वैज्ञानिक युग में हमारी ज़िन्दगी की छुपी हुई शक्ति को असली रूप देने के लिए मददगार साबित हो रहे हैं। खैर, बात करते हैं भौतिक वैज्ञानिक स्टीफन विलियम हॉकिंग के बारे, जिनकी संसार से रुखस्त हो जाने की खबर से इन्सानी दुनिया और विज्ञान की दुनिया को गहरा सदमा पहुंचा है। स्टीफन हॉकिंग एक ऐसा नाम था, जिनकी खोज ब्रह्मांड के रहस्यमयी सवालों को हल करने के लिए आधारशीला बना कर भविष्य में भी काम करते रहेंगे। जिनकी बदौलत वैज्ञानिक क्षेत्र में ब्रह्मांड के और कई पेचीदा तथ्यों को सुलझाने के लिए दूरी को खत्म करने के लिए नये मुकामों का निर्माण करेंगे। बिना आवाज़ और अल्फाज़ों से बोलने वाले और ब्लैक होल के अलावा बिग बैंग जैसे रहस्यमयी सिद्धांतों के रहस्य खोलने वाले इस महान वैज्ञानिक और लेखक का जन्म 8 जनवरी, 1942 को इंग्लैंड के आक्सफोर्ड में हुआ था। स्टीफन के जन्म के समय दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था, जिसके कारण स्टीफन के माता-पिता लंदन से आक्सफोर्ड में आ गए थे। बचपन में स्टीफन एक होशियार विद्यार्थी थे। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने पुराने इलैक्ट्रानिक साधनों की सहायता से कम्प्यूटर बना दिया था। हॉकिंग को गणित विषय में बहुत दिलचस्पी थी, लेकिन कई कारणों के कारण उनको भौतिक विज्ञान को पढ़ना पड़ा। प्रत्येक इन्सान का जीवन चुनौतियों भरपूर होता है। उसी तरह हॉकिंग का जीवन भी 20 वर्षों तक ठीक तरह चलता रहा, लेकिन जवानी के महज़ 21वें वर्ष में हॉकिंग के लिए अपना जीवन बचाना ही चुनौती बन गया था। क्योंकि लगभग 17 वर्ष की उम्र में हॉकिंग को सीढ़ियों से गिर कर बेहोश होने की समस्या आई। जिसको सभी ने साधारण मान कर अनदेखा कर दिया, लेकिन जब कुछ समय बाद ऐसी संबंधित और कई समस्याएं बढ़ने लगी तो स्टीफन की डाक्टरी जांच करवाई गई तो पता चला कि उनको कभी न ठीक होने वाली ए.एल.एस. (ऐमियोट्रोफिक लेटरल सकलीसिस) जैसी खतरनाक बीमारी हो गई थी। इस बीमारी में शरीर की वह नसें बंद हो जाती हैं, जो कि शरीर के अंगों को कंट्रोल करती हैं। जिसके कारण स्टीफन के शरीर के  काफी हिस्से को लकवा हो गया था। हॉकिंग और उनके परिवार के लिए यह एक गहरा सदमा था, जिसको ही हॉकिंग के 55 वर्ष ज़िन्दा रहकर ब्रह्मांड को और नज़दीक से रू-ब-रू करवाने का बड़ा कारण कहा जा सकता है। क्योंकि हॉकिंग को इस बीमारी के डाक्टरों की ओर से जांच करने के बाद सिर्फ लगभग 2 वर्ष तक जीवित रहने की सम्भावना ज़ाहिर की गई थी, लेकिन हॉकिंग ने इस बड़े झटके के बाद भी हार नहीं मानी। क्योंकि स्टीफन हॉकिंग का कहना था कि मुझे मौत से डर नहीं लगता, लेकिन मुझे मरने की भी जल्दी नहीं। क्योंकि मरने से पहले बहुत कुछ करना बाकी है। अपने इन्हीं विचारों पर खरे उतरते हुए हॉकिंग ने दुनिया को हॉकिंग रेडियशन, स्पेस, ब्लैक होल, बिग बैंग, समय यात्रा, सृष्टि की रचना और ब्रह्मांड के और वैज्ञानिक रहस्यों के बारे में पहचान करवाई। इस बीमारी के कारण हॉकिंग शारीरिक तौर पर हिल-जुल नहीं सकते थे, लेकिन मानसिक तौर पर पूरी तरह स्वस्थ थे, जिसकी बदौलत ही वह दुनिया से परे की उड़ान भर कर विज्ञान की झोली में कुछ न कुछ डालते रहे थे। जब हॉकिंग का पूरा शरीर काम करना बंद कर गया तो उन्होंने कल्पना और विचारों की न मरने वाली उदाहरण पेश की, जिसको हॉकिंग ने शारीरिक तौर पर साथ न मिलने के बाद भी मानसिक तौर पर ही जारी रखा।  विश्वास बनाया इसको सम्भव करने के लिए। उनको एक पूरी तरह कम्प्यूटरी उपकरणों से लैस व्हीलचेयर दी गई थी। जिस पर लगे सैंसर और हॉकिंग के चश्मे पर लगे सैंसर उनके भिन्न-भिन्न अंगों के सूक्ष्म से सूक्ष्म कंपन और ना मात्र हिल-जुल से भी पता लगा लेते थे कि वह क्या कहना चाहते हैं और फिर कम्प्यूटर के एक साफ्टवेयर की मदद से उन कंपनों को अल्फाज़ देकर शब्दों का समूह बनाकर हॉकिंग द्वारा कही गई बात का पता लगाया जाता था, जोकि स्वयं में एक अनूठा अनुभव होता था। अपने चुनौतीपूर्ण जीवन में हॉकिंग ने लेखक के तौर पर भी बहुत ही अद्भुत पुस्तकें दुनिया को दी। जिनमें A Brief History of The Time , The Grand design ,The Universe in a Nutshell , The Nature of Space and Time , My Brief History , The Theory of Everthing  आदि प्रमुख हैं। इनमें से ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम पुस्तक ने पूरी दुनिया में इतनी लोकप्रियता प्राप्त की कि कुछ ही समय में इसकी करोड़ों कापियां बिक गईं। इन उपलब्धियों के द्वारा ही हॉकिंग को अमरीका के सबसे उच्च नागरिक के सम्मान से सम्मानित किया गया था। स्टीफन ने अपने जीवन में दो विवाह किए और हॉकिंग के तीन बच्चे लूसी, रोबर्ट और टिम हैं। हॉकिंग उन व्यक्तियों के लिए बड़ी प्रेरणा स्रोत बने रहे थे जो छोटी-सी चुनौती के सामने हार मान कर किस्मत का दरवाज़ा खटखटाने लगते हैं। क्योंकि हॉकिंग की सकारात्मक सोच और दृष्टिकोण के कारण ही उन्होंने पांच दशक से अधिक समय मौत को मात दी और अपने जीवन को नये नज़रिये में बदला।  14 मार्च, 2018 को 76 वर्ष की उम्र में इस महान वैज्ञानिक के दुनिया को अलविदा कहने के साथ ब्रह्मांड में भी बहुत ऐसे रहस्य हमेशा-हमेशा के लिए द़फन हो गए हैं जिनके सम्भावित उत्तरों को केवल भविष्य के गर्भ में कहा जा सकता है। हॉकिंग के जीवन में अगर एक नज़र दोहराई जाए तो बाद में यही बात सामने आती है कि इच्छा शक्ति के साथ जो हम चाहते हैं वह प्राप्त कर सकते हैं। चाहे वह नकारात्मक हो या सकारात्मक। यह अब हमारा दृष्टिकोण है कि हम क्या चाहते हैं। 

(आभार-सैंट फ्रांसिस ऑफ असीसि)