मानहानि मामला : पूर्व डीजीपी शशिकांत बरी

जालन्धर, 11 मार्च (चन्दीप भल्ला): जे.एम.आई.सी. गगनदीप सिंह की अदालत ने मानहानि के एक मामले में आरोप साबित न होने पर पंजाब के पूर्व डीजीपी (जेल) शशिकांत को बरी किए जाने का आदेश दिया है। इस संबंधी जानकारी देते हुए शशिकांत के वकील दर्शन सिंह दयाल ने बताया कि उनके मुवक्किल पूर्व डीजीपी शशिकांत पर आरोप था कि उन्होंने 22 अप्रैल, 2014 को जालन्धर में एक पत्रकार सम्मेलन के दौरान तत्कालीन भाजपा नेता जिम्मी कालिया उर्फ शेखर कालिया व कुछ अन्य अकाली नेताओं के खिलाफ यह आरोप लगाया था कि उनके पंजाब के नशा तस्करों के साथ संबंध हैं और 23 अप्रैल को यह बात सभी समाचारपत्रों में प्रकाशित हुई थी, जिसके बाद जालन्धर व पंजाब की राजनीति में भारी बवाल हुआ था और जिम्मी कालिया को भी उस कारण पार्टी छोड़नी पड़ी थी, जिससे जिम्मी कालिया ने कहा था कि पूर्व डीजीपी शशिकांत के इस बयान के कारण उनकी राजनीतिक पहचान बेहद खराब हुई है और उनका राजनीतिक कैरियर भी खराब हुआ है। यही नहीं अन्य अकाली नेता जिन पर उनके मुवक्किल ने यह आरोप लगाए थे कि 23 अप्रैल को मीडिया में इस खबर को पढ़ने के बाद यह आपत्ति जताई थी कि इससे उनकी राजनीतिक पहचान पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है, जिसके बाद जिम्मी कालिया ने पूर्व डीजीपी शशिकांत के इस बयान पर आपत्ति जताते हुए शशिकांत के खिलाफ अपने वकील रमित अरोड़ा के ज़रिये 6 अक्तूबर 2014 को जालन्धर की अदालत में धारा 500-501 व 34 आईपीसी के तहत मानहानि का कम्प्लेंट केस कर दिया और यह कहा कि पूर्व डीजीपी शशिकांत के खिलाफ क्रिमिनल मानहानि का केस दर्ज किया जाए, परंतु आज अदालत ने आरोप साबित न होने पर पूर्व डीजीपी शशिकांत को बरी किए जाने का आदेश दिया है। इस संबंधी और जानकारी देते हुए शशिकांत के वकील दर्शन सिंह दयाल ने बताया कि शिकायतकर्ता ने जो भी गवाह पेश किए थे, वह इस बात को साबित नहीं कर पाए कि शशिकांत ने यह आरोप उनके सामने लगाए थे जो भी गवाह अदालत में पेश किए गए थे उन्होंने अदालत को यही कहा था कि उन्हें इस संबंधी मीडिया के ज़रिये  यह खबर पता चली थी परंतु कोई भी मौके का गवाह ऐसा अदालत में पेश नहीं हो सका जिसने पूर्व डीजीपी शशिकांत को प्रैस कान्फ्रैंस के दौरान यह बयान देते हुए खुद सुना हो जिस कारण अदालत ने इस मामले में पूर्व डीजीपी शशिकांत को बरी किए जाने का आदेश दिया।