सेवानिवृत्त प्रोफैसर की जीवनभर की कमाई लूट ले गया मंत्री का भाई

जालन्धर, 13 मार्च (मेजर सिंह ) : खालसा की जन्मस्थली श्री आनंदपुर साहिब में जीवनभर ईमानदारी व कड़ी मेहनत से कालेज में शिक्षा बांटते रहे सेवानिवृत्त प्रोफैसर की जीवन भर की कमाई पंजाब के कैबिनेट मंत्री का एक जालसाज़ भाई व बेटा लूटकर ले गए हैं। कज़र् लेने का झांसा देकर बटोरे पैसे वापिस लौटाने की बजाय अब वह पीड़ित प्रोफैसर को धमकियां दे रहे हैं और अपने मंत्री भाई की धौंस दिखाकर डरा-धमका रहे हैं। सेवानिवृत्त प्रोफैसर महेन्द्र सिंह ने अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया कि पंजाब के कैबिनेट मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी का भाई मनमोहन सिंह उसे किसी परिचित के ज़रिये अगस्त 2014 में मिला था। मनमोहन सिंह ने कारोबार चलाने के लिए सेवानिवृत्ति समय मिले पैसे उसे ब्याज पर देने के लिए सहमत कर लिया। प्रोफैसर महिंदर सिंह ने मनमोहन सिंह व उसके बेटे गुरप्रीत सिंह के साथ लिखित इकरारनामा कर 70 लाख रुपए चैक के ज़रिये दे दिये। मनमोहन सिंह व गुरप्रीत सिंह ने लिखित  इकरारनामा किया था कि 28 फरवरी 2015 तक वह ब्याज सहित सारी राशि वापिस लौटा देंगे। प्रो. महिंदर सिंह ने बताया कि उक्त व्यक्तियों ने न ब्याज दिया और न ही रकम ही वापिस लौटाई। आखिर कुछ गणमान्यों ने हस्तक्षेप कर 70 लाख रुपए की रकम सुरक्षित करने के लिए मनमोहन सिंह व गुरप्रीत सिंह की गांव सहोरा स्थित एक बीघा 9 बिस्वा ज़मीन का इकरारनामा प्रो. महिंदर सिंह के नाम करवा दिया। इकरारनामे की कापी पर पैसे लेने वाले उक्त दोनों पिता-पुत्र के हस्ताक्षर हैं परंतु उक्त व्यक्तियों की नयत में खोट होने के कारण उन्होंने कुछ समय के लिए ब्याज दिया और कुछ रकम लौटाई परंतु बाद में न कभी ब्याज दिया और न ही मूल रकम की ही कोई किश्त लौटाई है। पीड़ित ने बताया कि 26 अगस्त 2017 को कुछ गणमान्यों की मौजूदगी में पुन: किए इकरारनामे पर भी उन्होंने कभी जुबान पक्की नहीं की। उन्होंने बताया कि इस समय 60 लाख रुपए के करीब राशि शेष रहती है परंतु पिता-पुत्र उनकी बात सुनने को तैयार नहीं। उन्होंने कहा कि पिछले महीने उक्त व्यक्तियों को कानूनी नोटिस भी भेजा गया था, जिसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि वह मजबूर होकर अब अदालत का दरवाज़ा खटखटाएंगे। प्रो. महिंदर सिंह ने पंजाब के मुख्यमंत्री से भी अपील की कि ऐसे किरदार वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर उनकी जीवनभर की कमाई वापिस लौटाई जाए ताकि वह अपनी रहती ज़िंदगी सुकून से व्यतीत कर सकें।