लोकसभा क्षेत्र अमृतसर: ‘टिकट पर नज़र’ गड़ाये बैठे हैं कांग्रेस व भाजपा-अकाली गठबंधन के सम्भावित उम्मीदवार!

अमृतसर, 16 मार्च (जसवंत सिंह जस्स): भारतीय चुनाव  आयोग द्वारा पंजाब में लोकसभा चुनाव 19 मई को करवाने की गत 10 मार्च को जारी किए आदेश के बाद चाहे पंजाब के कई ज़िलों में राजनीतिक गतिविधियां तेज़ हो गई हैं, परंतु अभी पंजाब के 13 लोकसभा क्षेत्रों में से अहम समझे जाते और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऐतिहासिक महत्ता वाले अमृतसर लोकसभा क्षेत्र में अभी राजनीतिक चहल-पहल शुरू नहीं हुई। इसका कारण ‘आप’ को छोड़कर अभी बाकी बड़े राजनीतिक दलों कांग्रेस व भाजपा-अकाली दल गठबंधन द्वारा अपने उम्मीदवारों की अभी तलाश जारी है। दोनों दलों के चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों द्वारा टिकट की ओर नज़र लगाए हुए है और टिकट प्राप्ति के लिए राजनीतिक रसूख बरते जा रहे हैं।पंजाब प्रदेश कांग्रेस द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को अमृतसर से चुनाव लड़ाने के प्रयास को सफलता न मिलने के बाद यहां से चुनाव लड़ने वाले सम्भावित उम्मीदवार संबंधी क्यास लगाए जा रहे हैं और स्थानीय राजनीतिक नेता अपने-अपने हिसाब से जोड़-तोड़ लगा रहे हैं। अभी तक ‘आप’ द्वारा कुलदीप सिंह धालीवाल ही स्पष्ट तौर पर चुनाव मैदान में हैं, जिन्हें ‘आप’ ने कई माह पहले ही अमृतसर से चुनाव लड़ने का समर्थन दिया हुआ है। अमृतसर लोकसभा  क्षेत्र से वर्ष 2014 में हुए उप चुनाव मौके कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला ने भाजपा-अकाली दल गठबंधन के उम्मीदवार राजिंदर मोहन सिंह छीना को 1 लाख 99 हज़ार के करीब वोटों के बड़े अंतर से हराया था परंतु अब उनकी अपनी ही पार्टी के ज़िला से संबंधित कई विधायकों द्वारा उनकी खुलेआम विरोध किए जाने के कारण उनकी स्थान पर किसी अन्य नेता को टिकट दिए जाने की सम्भावना नज़र आ रही है। कांग्रेस मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू जोकि पहले भाजपा द्वारा इस क्षेत्र से तीन बार चुनाव जीत चुके हैं, की धर्मपत्नी व पूर्व सी.पी.एस. डा. नवजोत कौर सिद्धू को भी कांग्रेस द्वारा चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। भाजपा द्वारा चाहे यहां से इस बार केन्द्रीय राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी को चुनाव मैदान में उतारे जाने की चर्चा थी, परंतु स. पुरी चुनाव लड़ने से गत दिनाें खुद इन्कार कर चुके हैं, जिसे देखते हुए पुन: स. छीना को भी पार्टी द्वारा टिकट दिए जाने की सम्भावना है। सुखपाल सिंह खैहरा के गठबंधन, टकसाली अकालियों व सी.पी.आई. द्वारा भी अभी अपने उम्मीदवारों की घोषणा किया जाना बाकी है। इस बार यदि औजला को कांग्रेस द्वारा टिकट मिलने पर अपने ही पार्टी नेताओं द्वारा विरोध का सामना करना पड़ सकता है तो भाजपा के सम्भावित उम्मीदवार छीना की शिरोमणि अकाली दल टकसाली का होने वाला उम्मीदवार भी मुसीबतें बढ़ा सकता है।