सैस के नाम पर वसूला जा रहा 5 करोड़ प्रति माह

अमरगढ़, 17 मार्च (अ.स.): इलाके में आवारा कुत्तों तथा बेसहारा पशुओं ने महांमारी का रूप धारण कर लिया है। गांवों तथा शहरों में आवारा कुत्तों तथा पशुओं के झुंड किसी समय भी देखे जा सकते हैं। जहां यह दोनों किस्म के जानवर केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा चलाई ‘स्वच्छ भारत अभियान’ मुहिम की हवा सरकारी कॉम्पलैक्सों में गोबर तथा गंदगी डालकर निकाल रहे है वहीं इन दोनों कारण प्रत्येक वर्ष कई हज़ार देश निवासी समय से पहले मौत का शिकार हो जाते हैं। देश का कोई भी अस्पताल ऐसा नहीं होगा जहां अवारा कुत्तों द्वारा काटे गए किसी व्यक्ति का ईलाज न हुआ हो। भारत में कुत्तों के काटने कारण ही करीब 20 हजार व्यक्ति प्रति वर्ष मर जाते हैं। इसी तरह मई 2014 दौरान चंडीगढ़ के सैक्टर 20 में एक कुत्ते ने 24 घंटों में 30 व्यक्तियों को काटा तथा इस कुत्ते के शिकार 9 वर्ष के बच्चे से लेकर 90 चर्ष तक के बजुर्ग बने। मुंबई म्यूनिसिपल कार्पोरेशन के आंकड़े बताते हैं कि 1994 से लेकर 2015 तक इस महानगर में हलकाय कारण 422 व्यक्ति मर चुके हैं। देश के कई शहरों में कुत्तों को इंजैक्शन द्वारा नपुंसक बनाने की मुहिम भी अधर में दम तोड़ गई है क्योंकि इस पर खर्च प्रति कुत्ता एक हज़ार रुपए से भी अधिक आता है। दूसरा आवारा कुत्तों को पकड़ना आसान काम नहीं। कई व्यक्तियों का यह कहना भी है कि पूर्वी एशिया के कोरिया तथा चीन जैसे देशों को भारतीय कुत्तों का बड़ी स्तर पर निर्यात किया जाता सकता है जहां कुत्तों का मास बहुत पसंद किया जाता है। इसी तरह अकेले पंजाब में पिछले अढ़ाई वर्ष दौरान राज्य में अवारा घुमते 1 लाख 6 हज़ार से अधिक पशुओं कारण सड़की हादसों दौरान 300 से अधिक व्यक्ति मारे जा चुके हैं। पंजाब की सड़कों पर आवारा पशुओं कारण हर तीसरे दिन व्यक्ति मारा जाता है। एक ओर यह आवारा पशु मानवीन जानों के लिए खतरा बन चुके हैं वहीं दूसरी ओर किसानों की फसलों का दिन रात उजाड़ा भी करते हैं जिनका अगर संजीदगी से हिसाब किया जाए तो वार्षिक नुक्सान करोड़ों रुपए से भी अधिक है। पंजाब के 22 ज़िलों में 22 सरकारी गौशालाएं खोली जा चुकी हैं तथा इनके अलावा 472 गौशालाएं राज्य की कुछ एन.जी.ओज द्वारा चलाई जा रही हैं। कार्पोरेशनों, नगर कौंसिलों, नगर पंचायतों, लोकल बाडीज, ट्रांसपोर्ट, एक्साईज़ एंड टैकसैशन, पॉवर कार्पोरेशनों सहित अन्य बहुत सारे अदारों द्वारा प्रत्येक माह गौ सैस के नाम पर 5 करोड़ रुपए प्रति माह लोगों से वसूला जा रहा है परंतु सरकार द्वारा स्थापित किए गौ सेवा कमिशन का कहना है कि यह पूरा पैसा उनको प्राप्त ही हीं हो रहा जिस द्वारा वह गायों की सही ढंग सेवा संभाल कर सकें। पंजाब तथा हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राज्य सरकार को हिदायत की थी कि वह आवारा पशुओं से टकरा कर मरने वालों के परिवारों को उचित राशि मुआवज़े के तौर पर अदा करने की नीति जल्द बनाए परंतु प्रांतीय सरकार द्वारा पेश हुए गौ सेवा कमिशन का कहना है कि मुआवज़ा सिर्फ चारदीवारी में बंद किए गए पशुओं द्वारा मारे गए व्यक्ति को ही दिया जा सकता है।