म्यांमार का आनंद मंदिर 

विश्व में कुछ ऐसे स्थान हैं जहां की सुन्दरता और भव्यता आपका मन मोह लेती है। किसी भी देश की पहचान उस देश के सांस्कृतिक, सामाजिक, धार्मिक और पुरातात्विक विकास से होती है। देश और दुनिया में कई धर्मों के लोग हैं जिनकी आस्था अलग अलग होते हुए भी मंजिल एक है। हर देश में धार्मिक कार्यों के लिए मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे आदि धर्म स्थल हैं जहां लोग पूरी श्रद्धा के साथ पहुंचते हैं। म्यांमार में ग्यारहवीं शताब्दी में बनाया गया बौद्ध मंदिर भी उनमें एक है जो अपनी अनूठी वास्तुशैली और स्थापत्य कला के लिए दुनिया में प्रसिद्ध है। आनंद मंदिर ग्यारहवीं शताब्दी में बना म्यांमार का ऐतिहासिक बौद्ध मंदिर है जो बागान शहर में निर्मित है। बागान म्यांमार में स्थित एक प्राचीन शहर है। 1975 में आये भूकंप से यह मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था। भारत और म्यांमार ने 2010 में आनंद मंदिर के पुनरुद्धार से संबंधित एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारत सरकार ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। भारत ने इस कार्य के लिये 30 लाख डॉलर आवंटित किया था। यहीं पर 2017  में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आये थे। भारतीय पुरातत्व सर्वे ने आनंद मंदिर की मरम्मत के लिए सराहनीय काम किया है। यह अनेक शानदार मंदिरों का घर है। कुछ शानदार प्राचीन मंदिरों का नजारा बागान में सभी आकर्षणों को पीछे छोड़ देता है। यहां पर घास के विशाल मैदान हैं जहां बौद्धों के शानदार मठ हैं। यहां के भव्य स्मारक म्यांमार के शासकों की धर्मनिष्ठा का प्रमाण हैं। यहां अनेक पगोडे यानि बौद्ध स्तूप हैं। आनंद मंदिर के अलावा थाबिन्यू मंदिर भी देखने लायक है। बर्मा में सर्वोत्तम पेगन का आनंद मंदिर  है। 1105 ईस्वी में बने इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। यह 564 वर्ग फीट के चौकोर आंगन के मध्य में स्थित है। मुख्य मंदिर ईंटों का बना हुआ और वर्गाकार है। भव्य अनुपात और सुनियोजित  नियोजन के साथ आनन्द मंदिर का सौन्दर्य यहां पर उत्कीर्ण पत्थर की असंख्य मूर्तियों और दीवारों पर लगे मिट्टी के फलकों से बढ़ गया है। पत्थर की उत्कीर्ण मूर्तियों की संख्या 80 है।  उनमें बुद्ध के जीवन की मुख्य घटनाएं अंकित हैं। यह मंदिर भारतीय शैली में ही विकसित हुआ है। आनंद मंदिर को वास्तुकला का सबसे पुराना  मास्टरपीस  माना जाता है। इसके अलावा इसे बागान मंदिरों में सबसे बेहतरीन सबसे भव्य, सबसे अच्छी तरह संरक्षित और सबसे महत्वपूर्ण मंदिर माना जाता है।  कहा जाता है कि इस मंदिर को राजा क्यानजीथ ने 1105 के आसपास बनवाया था। यह मंदिर शुरुआती बागान काल की  शैली और वास्तुकला को समेटे हुए है और मध्य काल की शुरुआत दर्शाता है। 1990 में मंदिर के निर्माण की 900वीं वर्षगांठ पर, मंदिर के परिधानों को सोने का पानी चढ़ाया गया था। मंदिर में ढेरों बुद्ध प्रतिमाएं हैं और मंदिर के चारों कोनों में बुद्ध  खड़ी मुद्रा में बने हुए हैं। वास्तुकला का यह अनोखा नमूना अद्भुत और मन को मोह लेने वाला है। बौद्ध मंदिर का निर्माण 1105 के आसपास महाराज क्यानजित्था ने किया था। म्यांमार के बागान में यह सर्वाधिक ऐतिहासिक और पूजनीय मंदिर है। 

—बाल मुकुन्द ओझा
मो. 94144-41218