फर्जी दस्तावेज़ साबित हो रहे हैं राजनीतिक पार्टियों के चुनाव घोषणा पत्र

मानसा, 18 मार्च (बलविंदर सिंह धालीवाल) : इन दिनों जब 17वें लोक सभा चुनाव का बिगुल बज चुका है, मौके देश भर में इस मांग ने ज़ोर पकड़ लिया है कि चुनाव घोषणा पत्रों को कानूनी दायरे में लाया जाए। राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की ब्यानबाजी के अलावा टीवी चैनलों पर इस समय यह बहस काफी चल रही है कि अब तक किसी भी राजसी धिर द्वारा चुनाव घोषणा पत्रों में किए वादे पूरे नहीं किए गए? इसी के चलते सोशल सूचना प्लेटफार्म (वटसऐप, फेसबुक, टिव्टर, इंस्टाग्राम) आदि पर भी ऐसे पत्रों को कानूनी बंदिश में लाने की मांग उठ रही है। भारतीय किसान यूनियन (कादियां) द्वारा भी आज दिल्ली में बड़ा इक्टठ कर इस मांग के लिए भारत के मुख्य चुनाव कमिशनर को मांग पत्र दिया गया है। असल में चुनाव घोषणा पत्र किसी भी राजसी पार्टी का चुनाव लडने की प्रक्रिया का केन्द्रीय बिंदू होता है, जिसमें उन्होंने सारी नीतियों को ज़ाहिर किया जाता है, जो संबंधित पार्टी जीतने की सूरत में लागू करना चाहती है परन्तु देश के चुनाव एतिहास पर नज़र मारते यह बात सपष्ट तौर पर देखने को मिलती है कि चुनाव घोषणा पत्रों का बड़ा हिस्सा या तो जुमेल साबित होता है या उसमें दर्ज तथ्य हकीकी स्थिति से कोसों दूर होते हैं। देश व राज्यों की सारी राजसी पार्टियां इस हमाम में करीब नंगी हैं कि उन्होंने अपने राज भाग दौरान वोटरों से किए सारे वादों को पूरा करना तो दूर की बात बलकि आधे भी पूरे नहीं किए व कई बार तो वादों के विपरीत दिशा में कार्य किए गए हैं, जिस कारण चुनाव मैनीफैस्टो फर्जी दस्तावेज साबित हो रहे हैं जबकि वोटरों को सब्जबाग दिखाने में कोई भी राजसी पार्टी पीछे नहीं रहती। केन्द्र की नरेंदर मोदी की अगुवाई वाली सरकार की बात की जाए तो उसने फसलों के भाव डा. स्वामीनाथन की रिपोर्ट मुताबिक देने के वादे रद्द कर किए थे पर अमलीजामा नहीं पहनाया गया। भाजपा सरकार गठित होने पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सहत देश में जमहूरी पसंद राज देने की बात की गई थी परन्तु हुआ इसके उलट। खातों में 15-15 लाख रुपये पाने की बातें तो हवा हो गई हैं  वोटरों को खुद सुचेत होने की ज़रूरत : चुनाव घोषणा पत्रों को कानूनी दायरे में लाना व फिर इसको लागू करना एक गुंझलदार प्रक्रिया है परन्तु अगर राजसी पार्टियां सच्चे मनो सुहिरदता अपनाने पर लोग भी उन पर दबाव बनाएं तो यह सब कुछ संभव है। ‘अजीत समाचार’ द्वारा मुख्य राजसी पार्टियों के प्रमुख्य नेताओं से की गई विचार चर्चा  में समस्त ने इस बात की हामी भरी कि वह चुनाव मैनीफैस्टो को कानूनी बंदिश में लाने के हक में हैं। वादे लागू करवाने के लिए वोटरों को खुद सुचेत होना पडेगा।