देश भर में एन.पी.ए. के नाम पर बैंकों द्वारा 30 हज़ार करोड़ का घोटाला करने का आरोप

लुधियाना, 18 मार्च (जोगिन्द्र अरोड़ा) : फैडरेशन ऑफ पंजाब स्माल इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन (फोपसीया) द्वारा देश के बैंकों द्वारा एन.पी.ए. के नाम पर 30 हज़ार करोड़ रुपए के किए घोटाले सम्बन्धी माननीय सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया गया है। यह घोषणा फोपसीया के प्रधान बरीश जिंदल ने की। उन्होंने कहा कि जो देश भर के बैंकों द्वारा 30 हज़ार करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है, उसमें से केवल लुधियाना से संबंधित 13 हज़ार करोड़ रुपए के एन.पी.ए. बैंक खाते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों ने 14.7 प्रतिशत एवं निजी क्षेत्र के बैंक ने 4.7 प्रतिशत एन.पी.ए. खाता धारकों के ऋणों पर लीक मारी है। उन्होंने कहा कि 94 प्रतिशत राष्ट्रीय बैंकों ने 94 प्रतिशत एवं निजी क्षेत्र के बैंकों ने 6 प्रतिशत एन.पी.ए. केसों का निपटारा करके 50 करोड़ रुपए की हेराफेरी की है। उन्होंने कहा कि चालू वर्ष में 3 लाख करोड़ रुपए के बैंक ऋण माफ करने की योजना बनाई थी, जो वर्ष के अंत तक कुल 8 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-1018 में बैंकों ने कुल 144093 करोड़ रुपए के ऋणों पर लकीर फेरी थी, जिसमें से 120165 करोड़ रुपए राष्ट्रीय बैंकों एवं 23928 करोड़ निजी क्षेत्र के बैंकों से संबंधित थे। जिंदल ने कहा कि मोदी सरकार के अंतिम चार वर्ष में बैंकों ने 357341 करोड़ रुपए के ऑणों पर लकीर फेरी थी जबकि यू.पी.ए. सरकार के अंतिम छह वर्षों 2008-2009 से 2013-2014 में 122753 करोड़ रुपए के ऋणों पर लकीर मारी थी। मार्च 2018 के अंत में एन.पी.ए. बैंक खातों की राशि 1035528 करोड़ रुपए थे। उन्होंने कहा कि उनके पास पुख्ता सबूत हैं कि किस तरीके से लुधियाना से संबंधित बड़ी कम्पनियों ने अपने एन.पी.ए. बैंक खातों की 13000 करोड़ रुपए की राशि थी, जिसको 2 हज़ार करोड़ रुपए में आपसी सहमति से निपटा लिया गया।