ठप्प हुए भारत-पाक व्यापार की आंच 10 हज़ार परिवारों तक पहुंची
अटारी, 18 मार्च (रूपिन्द्रजीत सिंह भकना) : पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ अपनाए गए कड़े रुख की गाज संगिठत जांच चौकी अटारी के ज़रिए होते भारत-पाकिस्तान व्यापार पर ही गिरी है। जबकि हमले वाले राज्य जम्मू-कश्मीर के ज़रिए होता ड्यूटी मुक्त व्यापार सरकारी छत्र-छाया में चल रहा है। वहीं समझौता रेलगाड़ी, अंतर्राष्ट्रीय बस सर्विस, रिट्रीट सैरामनी और अन्य सरकार हितैषी के साझे समझौते वाले प्रोजैक्ट पहले जैसे ही चल रहे हैं। सरकार के जल्दबाजी में लिए फैसले का असर यहां सैकड़ों छोटे ट्रांसपोर्टों व हज़ारों कुलियों सहित प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष के तौर पर 10 हज़ार के लगभग निर्भर परिवारों तक पहुंच रहा है, वहीं सरकारी राजस्व भी करोड़ों से घाटे पर पहुंच चुका है। 2014-2015 में दोनों देशों में 4485 करोड़ रुपए व्यापार शिखर पर था परंतु दोनों देशों में बढ़ते तनाव के कारण यह 2018-19 में कम होकर सिर्फ 913 करोड़ रुपए रह गया। ट्रांसपोर्ट नेता प्रितपाल सिंह सिद्धू और प्रवक्ता अमरजीत सिंह शिंदा ने बताया कि स्थानीय ट्रांसपोर्टों के 480 ट्रक अटारी सीमा से माल ढोते थे। 100 के लगभग पहले सरकारी नीति के कारण विक गए। अब ट्रकों की किश्तें न भरने के कारण बैंक वालों ने 100 ट्रक अपने कब्ज़े में कर लिए। उन्होंने बताया कि अटारी से हमारी और दूसरे राज्यों के 1500 ट्रक माल लेकर आते-जाते थे, आज सब कुछ बंद पड़ा है, दूसरी ओर कुली यूनियन के नेता बलविंदर सिंह बूटा, जसबीर सिंह खेला व अन्य ने बताया कि वह 1433 कुली और इससे अधिक मेहनती मज़दूर जिनकी रोजी-रोटी व्यापार पर ही निर्भर है। फीस न भरने के कारण उनके बच्चे पेपर नहीं दे सके। दुकानदारों ने भी राशन देना बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब समझौता रेलगाड़ी, बसें, रिट्रीट सैरामनी जब ज्यों से त्यों चल रही हैं तो व्यापार बंद करने से कौन सा हल होगा। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि शाम को एक और रिट्रीट सैरामनी के भंगड़े पड़ रहे होते हैं तो वहीं उनके चेहरे पर चिंता छाई होती है कि वह खाली हाथ घर लौट कर बच्चों को क्या मुंह दिखाएंगे। उन्होंने और भी बताया कि अगर उनकी सुनवाई न हुई तो पीड़ित बेटियों को साथ लेकर कड़ा संघर्ष करेंगे, जिसके लिए सरकार ज़िम्मेवार होगी।