कैप्टन सरकार के दो वर्ष


पंजाब में कांग्रेस द्वारा चलाये जा रहे शासन के दो वर्ष पूरे होने पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह तथा उनके कुछ वरिष्ठ साथियों ने अपनी सरकार के समय की कारगुज़ारी को संतोषजनक बताते हुए अपनी उपलब्धियां गिनाई हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अपने चुनाव घोषणा-पत्र में उन्होंने जो वायदे किए गए थे, उनको सफलता से पूरे करने का प्रयास किया जा रहा है। इस दिशा में बढ़ाये कदमों की जानकारी देते हुए उन्होंने दो वर्षों के अर्से में किसानों के 4736 करोड़ रुपए के माफ किए ऋण की बात कही है और इसके अलावा भूमिहीन कज़र्दारों को 520 करोड़ की राहत देने का भी उल्लेख किया है। इन राहत देने वाली योजनाओं के घेरे में 8 लाख से भी अधिक किसानों और भूमिहीन किसानों के आने का दावा किया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया है कि नशों के विरुद्ध भी बड़ी मुहिम चलाई गई है और रोज़गार योजना के अधीन पौने 6 लाख के लगभग बेरोज़गारों को रोज़गार दिया गया है। पंजाब के उद्योगों को राहत देने के लिए 1475 करोड़ रुपए की बिजली सबसिडी दी गई है। इसके साथ ही बंद पड़ी औद्योगिक इकाइयों को चलाने के लिए भी प्रयास शुरू किए गए हैं। इसके साथ ही यह भी दावा किया गया है कि नई परिवहन नीति भी शीघ्र ही अस्तित्व में आ जाएगी। 
हम सरकार द्वारा पेश किए गए इन तथ्यों पर किन्तु-परन्तु नहीं करना चाहते, परन्तु मुख्य रूप में देखने वाली बात यह होगी कि गत दो वर्षों के अर्से में पंजाब विकास के पथ पर कितना आगे बढ़ा है? राज्य में कौन-सी बड़ी योजनाएं शुरू की गई हैं और राज्य की आर्थिकता को मज़बूत करने के लिए क्या और किस तरह के कदम उठाये गये हैं? जहां तक राज्य की आर्थिकता का सवाल है, गत समय के दौरान आम तौर पर यह प्रभाव दृढ़ हुआ है कि सरकार का खज़ाना खाली है। इस संबंध में संबंधित मंत्रियों के बयान भी आते रहे हैं। सरकार का बड़ा प्रयास यही रहा है कि वह किसी न किसी तरह अपने हर तरह के कर्मचारियों को समय पर वेतन दे सके। कई बार तो ऐसा भी नहीं हो पाया, क्योंकि पंजाब पर अकाली-भाजपा सरकार के समय जो बड़ी ऋण की पोटली थी, वह दिन-प्रतिदिन और भी भारी होती गई है। अब यह ऋण की राशि 2.12 लाख करोड़ के लगभग हो गई है, जिसका ब्याज राज्य की आमदनी का बड़ा हिस्सा जज्ब कर जाता है। प्रशासन के संबंध में भी कहा जा सकता है कि आज अध्यापकों सहित सरकारी कर्मचारियों के अधिकतर वर्ग नित्य-दिन धरने और जुलूस निकालने में लगे हुए हैं। किसानों का उपरोक्त बताया गया जितना ऋण माफ किया गया है, उनकी मांग उससे कहीं अधिक की है। क्योंकि कैप्टन साहिब ने अपनी चुनाव मुहिम के दौरान किसानों के हर तरह के ऋण पर लकीर मारने की बात कही थी। अपने थोड़े-बहुत आर्थिक संसाधनों को जुटा कर कैप्टन सरकार द्वारा यह लकीर मारने का प्रयास अवश्य किया गया, परन्तु यह कहीं छोटी रह गई प्रतीत होती है। आज भी बड़ी संख्या में किसान वर्ग असंतुष्ट दिखाई देता है। यहां तक कि उसको गन्ने की बकाया राशि लेने के लाले पड़े हुए हैं। इसके लिए किसान गत समय के दौरान कई बार आन्दोलन भी कर चुके हैं। जितनी बड़ी कृषि संकट की समस्या उभर कर सामने आई है, उसके सामने सरकार द्वारा ऋण माफी के किए गए प्रयास उनको दिये गये लॉलीपाप ही प्रतीत होते हैं। उद्योगपतियों को चाहे सरकार द्वारा सबसिडी देने की बात कही गई है, परन्तु अपने वायदे के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र को बिजली 5 रुपए प्रति यूनिट देने के ऐलान अब महज़ सपना बन कर ही रह गये हैं। क्योंकि उद्योगपतियों के अनुसार उनको अभी भी बिजली साढ़े 7 रुपए यूनिट मिल रही है। गत समय के दौरान सरकार ने शांति-व्यवस्था के क्षेत्र में गैंगस्टर टोलों को अवश्य नकेल डाली प्रतीत होती है, परन्तु दिन-प्रतिदिन अपराध बढ़ने के कारण सरकार के लिए यह क्षेत्र आज भी बड़ी चुनौती पेश कर रहा है, इसके साथ ही ज़ोर-शोर से कुछ सप्ताह में ही नशों को खत्म करने के ऐलान भी काफूर होकर रह गये प्रतीत होते हैं।
ऐसी स्थिति में विकास योजनाओं को कैसे मुकम्मल किया जाएगा यह मुद्दा एक प्रश्न चिन्ह बनकर रह गया है। पंजाबियों ने जिन आशाओं से नई सरकार को चुना था उनको बूर पड़ता अभी दिखाई नहीं दे रहा, ऐसी स्थिति निराशा को जन्म देती है और इसके साथ ही यह सरकार के लिए भी एक चेतावनी बन कर उभर कर रही है कि वह रहते समय में एक ठोस योजनाबंदी को अमल में लाये ताकि इस राज्य के लोगों में एक आशा और विश्वास वाला माहौल बनाया जा सके।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द