बेरोज़गारी की इंतहा

केन्द्र और अलग-अलग राज्यों में बनने वाली सरकारें अक्सर यह दावे करती रहती हैं कि उन्होंने हर पक्ष से देश का बहुत ज्यादा विकास किया है। अपने इन दावों को साबित करने के लिए उनके द्वारा आंकड़े भी पेश किये जाते हैं, परन्तु वास्तविकताएं यह हैं कि आज़ादी के 71 वर्षों के बाद भी देश के लोगों की एक बड़ी संख्या स्वास्थ्य, शिक्षा और रोज़गार जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। इसी कारण युवाओं में निराशा बढ़ती जा रही है और उनको इस देश में अपना कोई भविष्य नज़र नहीं आता। इसी कारण बड़ी संख्या में नौजवान रोजी-रोटी की तलाश में किसी न किसी बहाने विदेशों को पलायन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इस संदर्भ में ही पंजाब के फाज़िल्का शहर से एक खबर आई है, जो इस हकीकत को भली-भांति बयान करती है कि राज्य के युवाओं में बेरोज़गारी किस सीमा तक फैली हुई है। खबर यह है कि कुछ समय पूर्व फाज़िल्का की अदालत के लिए 33 के लगभग चौथा दर्जा कर्मचारियों, जिनको आम भाषा में सेवादार भी कहा जाता है, के पदों के लिए विज्ञापन दिए गए थे। इन पदों के लिए 10,609 के लगभग युवाओं द्वारा उम्मीदवार के तौर पर आवेदन किए गए। इन आवेदनों की बड़े स्तर पर जांच-पड़ताल के बाद 9358 उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। उपरोक्त पदों के लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम योग्यता 8वीं पास और पंजाबी लिखने-पढ़ने की क्षमता तय की गई थी। परन्तु जिन युवाओं ने इन पदों के लिए अपने आवेदन दिए हैं, उनमें ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और यहां तक कि आई.टी. इंजीनियर तक भी शामिल हैं। इस संबंध में फाज़िल्का में गत कई दिनों से साक्षात्कार चल रहा है। साक्षात्कार के लिए आये अधिकतर युवाओं की कहानी लगभग एक जैसी ही है। उनका कहना है कि उन्होंने डिप्लोमे, डिग्रियां तथा अन्य कई तरह की उच्च शिक्षा हासिल की हुई है, इसके बावजूद उनको नौकरियां नहीं मिली। कुछ युवाओं ने यह भी कहा कि निजी क्षेत्र में जो उनको नौकरियां मिली हैं, उनके लिए भी उनको 10 हज़ार से अधिक वेतन नहीं मिलता और इस महंगाई भरे दौर में वह ठोकरें खाने के लिए मजबूर हैं। उपरोक्त खबर इस बात का ठोस सबूत है कि राज्य के युवाओं में कितने बड़े स्तर पर बेरोज़गारी पाई जा रही है। दर्जा चार के पद के लिए ही हज़ारों उच्च शिक्षा हासिल करने वाले युवा अप्लाई करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। राज्य में युवाओं का कोई भविष्य न होने के कारण ही बड़ी संख्या में पंजाबी युवक आईलैट्स करके या अन्य वैध-अवैध ढंगों से विदेशों की ओर पलायन कर रहे हैं। इसी कारण बहुत सारे युवक अपराधों की दुनिया में भी प्रवेश कर गए हैं। युवाओं में नशा खाने और नशा बेचने का रूझान भी इसी कारण बढ़ा है। चाहे कैप्टन सरकार यह दावा कर रही है कि उसने रोज़गार मेलों द्वारा हज़ारों युवाओं को रोज़गार दिलाया है, परन्तु राज्य की वास्तविकताएं इन दावों की पुष्टि नहीं करती। अंत में हम केन्द्र सरकार और खास तौर पर पंजाब की कैप्टन सरकार को यह कहना चाहते हैं कि वह देश और पंजाब की वास्तविकताओं को समझें और युवाओं के लिए प्राथमिक आधार पर सस्ती और स्तरीय शिक्षा का प्रबंध करें और युवाओं को रोज़गार मुहैया करवाने के लिए अधिक से अधिक ठोस कदम उठाएं। खोखले दावों से युवाओं का पेट नहीं भर सकता। यदि सरकारें इस संबंध में गम्भीर नहीं हुई तो इससे समाज में विस्फोट स्थितियां पैदा हो सकती हैं। शांति व्यवस्था के लिए भी बड़ी चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए सरकारों के जागने के लिए यह उपयुक्त समय है।