प्राइमरी अध्यापकों के मसलों संबंधी शिक्षा सचिव द्वारा ज़िला अधिकारी तलब

एस.ए.एस. नगर, 23 मार्च (अ.स.): प्रदेश के समूह प्राइमरी अध्यापकों की पदोन्नतियां, सेवा वृद्धि, पे-अनामली, टाइम बार बिलों, मैडीकल बिलों की री-इम्ब्रसमैंट व सेवानिवृत्त अध्यापकों के पैंडिंग पैंशन लाभों के एकमुश्त निपटारे के लिए शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने प्रदेश के समूह प्राइमरी ज़िला शिक्षा अधिकारियों को सहित सुपरिटैंडेंट डी.जी.एस.सी. कार्यालय मोहाली में कल सोमवार को होने वाली बैठक में शामिल होने के आदेश जारी किए हैं। शिक्षा सचिव के इस प्रयास को सकारात्मक कदम बताते हुए जी.टी.यू. के पूर्व प्रादेशिक सचिव हरनेक मावी ने कहा कि शिक्षा सचिव का यह प्रयास शिक्षा विभाग के जड़ हो चुके शिक्षा अधिकारियों व कार्यालय स्टाफ, सेवानिवृत्त व सेवा अधीन प्राइमरी अध्यापकों के वर्षों से हो रहे वित्तीय नुक्सान के समाधान के लिए सकारात्मक हरकत में आने के लिए झंजोड़ने में सफल हो सकेगा। हरनेक मावी ने बताया कि अकेले मोहाली ज़िले में ही 2012 के पास हुए 4 दर्जन से अधिक प्राइमरी अध्यापकों के ए.सी.पी. के केस पैंडिंग होने के कारण टाइम बार हो चुके हैं, जबकि इसी समय के दो पास हुए चहेतों की अदायगी करवा दी गई। अगस्त 2018 से स्वीकारिता तरक्की के पास हुए केसों में भी सैकड़ों अध्यापकों के बिल खज़ाने भेजे नहीं गए क्योंकि ज़िले के बी.पी.ई.ओ.-डी.ई.ओ. व उनका कार्यालय स्टाफ पिक-एंड-चूज़ को अपना अधिकार समझता हुआ एक ही समय पास हुए केसों में से केवल चहेतों के बिलों की अदायगी करवाने का आदी है। उन्होंने बताया कि ज़िले के कई ब्लाकों के पुन:नियुक्त अध्यापकों को जुलाई 2006 से मार्च 2008 के ग्रामीण-भत्ते व मकान किराए भत्ते की अदायगी अभी तक नहीं हुई, इसी अंतराल के पे-रिवीज़न के बकाये की अदायगी अभी कई अध्यापकों की बाकी है। मावी ने कहा कि विभाग समय-समय ब्लाक व ज़िला स्तरीय अधिकारियों से अध्यापकों के सेवा लाभों, मैडीकल बिलों व सेवानिवृत्ति लाभों की अदायगी पैंडिंग न होने के प्रमाणपत्र मांगता रहता है और यह बेखौफ अधिकारी यह प्रमाण पत्र नि:संकोच सबमिट करवाते रहते हैं। मावी ने मौजूदा शिक्षा सचिव से मांग की कि ऐसे झूठे प्रमाण पत्र जारी करने वाले विभाग के प्राइमरी ज़िला शिक्षा अधिकारियों, बी.पी.ई.ओज़ व संबंधित कर्मचारियों को मिसाली सज़ा दी जाए और भविष्य में प्राइमरी अध्यापकों के वित्तीय हितों की समय पर अदायगी के लिए कोई जवाबदेह शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की जाए।