क्या भारत तीसरी बार क्रिकेट विश्वकप जीत सकता है?

आईसीसी विश्वकप-2019 का काउंट डाउन शुरू हुए भी अब एक चौथाई दिन गुजर चुके हैं। जिस क्षण ये पंक्तियां लिखी जा रही हैं विश्वकप के महज 75 दिन बचे हैं। 30 मई 2019 से शुरू होकर 14 जुलाई 2019 तक खेला जाने वाला इस बार का क्रिकेट विश्वकप इंग्लैंड और वेल्स में होगा। अगर एक महीने पहले क्रिकेट की दुनिया के किसी भी कोने में, किसी क्रिकेट के जानकार से सवाल किया जाता कि क्या भारत तीसरी बार विश्वकप जीत लेगा? तो जवाब देने वाले को ‘हां’ कहने के लिए बहुत सोचना नहीं पड़ता। लेकिन विश्वकप से पहले अपनी आखिरी सीरीज भारत ने जिस तरह से ऑस्ट्रेलिया के हाथों गंवायी है, उसके बाद अब भारत के धुर समर्थक को भी एक बार सोचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है कि क्या वाकई भारत साल 2019 में तीसरी बार विश्वकप जीत पायेगा? गौरतलब है कि हमने 1983 में पहली बार इंग्लैंड में विश्वकप जीता था। इसके बाद दूसरी बार साल 2011 में अपने ही देश में इसे जीता। एक बार दक्षिण अफ्रीका में भी हम फाइनल तक पहुंचे थे, लेकिन अंतत: फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार गये थे। पिछले दो सालों से भारतीय टीम ने जिस तरह दुनिया के हर कोने में धमाकेदार पफरोमांस किया है, उसके चलते अभी एक महीने पहले तक यही माना जा रहा था कि इस विश्वकप के दो बड़े दावेदार हैं एक भारत और दूसरा इंग्लैंड। कहा जा रहा था कि भारत तीसरी बार विश्वकप जीतने की ताकत रखता है तो इंग्लैंड को अभी अपना पहला विश्वकप जीतना है। लेकिन जिस तरह से ऑस्ट्रेलिया के हाथों अंतत: भारत ने अपनी आखिरी सीरीज 3 के मुकाबले 2 मैच जीतकर गंवायी है, उसके बाद हर किसी को लगने लगा है कि क्या ऐसे में भारत के पास तीसरी बार विश्वकप जीतने की ताकत है? दरअसल भारतीय टीम ने पिछले एक साल के भीतर बेंच स्ट्रेंथ को मजबूत करने के लिए और अपने हर मौजूद खिलाड़ी को आजमाने के लिए इतने ज्यादा खिलाड़ियों को आजमाया है कि अब सेलेक्टर ही नहीं, खुद टीम के प्रबंधक और यहां तक कि कप्तान भी कन्फ्यूज हो चुके हैं कि आखिर उन्हें अंतिम रूप से किन खिलाड़ियों पर दांव खेलना चाहिए। भारत की इस गफ लत में इजाफा आईपीएल ने भी किया है। दरअसल आईपीएल टूर्नामेंट जिस तरह की पाटा पिचों में खेला जाता है, उससे औसत से औसत खिलाड़ी भी रनों का ढेर लगा देता है। लेकिन विश्वकप इंग्लैंड में खेला जाना है, जहां की परिस्थितियां बल्लेबाजी के लिए उतनी अनुकूल नहीं होतीं, जितनी भारतीय पिचें होती हैं। आईपीएल ने एक और स्तर पर भारत के लिए संकट खड़ा किया है, खिलाड़ी विश्वकप के लिए रवाना होने से पहले आईपीएल में खेल रहे होंगे और हम सब जानते हैं कि 20 ओवर का यह पावर गेम किस कदर खिलाड़ियों की ताकत और ऊर्जा सोख लेता है। ऐसे में थके खिलाड़ी क्या विश्वकप की ट्राफी उठा पाएंगे? यह भी एक बड़ा सवाल बन गया है।  23 मार्च से आईपीएल के मैच शुरू हो गये हैं और ईश्वर न करे कि हमारे महत्वपूर्ण खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में चोटिल हो जाएं और उन्हें अगले कुछ दिनों के लिए आराम का फ रमान सुना दिया जाए तो क्या होगा? निश्चित रूप से यह एक नकारात्मक आशंका है लेकिन हम सब जानते हैं कि किसी बहुत बड़े टूर्नामेंट के पहले हमें सिर्फ  सकारात्मक ही नहीं, कुछ नकारात्मक भी सोचना चाहिए तभी बात बनती है वरना ऐन मौके पर किसी ऐसी दुर्घटना पर हमारे पास पछताने के सिवा और कोई चारा नहीं होता। पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि वर्ल्ड कप सिर पर देखते हुए शायद आईसीसी, बीसीसीआई से वर्ल्ड कप के ठीक पहले आईपीएल के कार्यक्रम में फेरबदल करने का सुझाव दे या फिर बीसीसीआई खुद ऐसी स्थितियों का स्वत: संज्ञान ले। लेकिन अब खेल सिर्फ  खेल नहीं होते, उनके पीछे अनगिनत दांवपेच और भारी भरकम धनराशि भी जुड़ी होती है, इस वजह से किसी टूर्नामेंट का रद्द होना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, फिर आईपीएल तो वैसे भी दुनिया के सबसे ज्यादा कमाऊ टूर्नामेंटों में से एक है। इसलिए इसका कैंसिल होना तो संभव ही नहीं था।इस प्रकार अब तमाम किंतु परंतुओं को छोड़कर हमें इस बात पर फोकस करना ही होगा कि कैसे ऐन मौके पर तमाम आशंकाओं पर विराम लगाया जाए और देश के लिए एक बार फि र से विश्वकप जीता जाये? पहले माना जा रहा था कि इस बार विश्वकप में मुख्य रूप से दो बार विजेता भारत और अभी अपनी पहली जीत का इंतजार कर रहा इंग्लैंड विश्वकप के सबसे बड़े दावेदार होंगे। लेकिन जिस तरह से भारत के साथ विश्वकप से ठीक पहले अपनी आखिरी वनडे सीरीज में 4 बार का विश्वकप विजेता ऑस्ट्रेलिया ने पूरी ताकत से वापसी की है, उससे नहीं लगता कि इस बार की गर्मियों में विश्वकप किसी भी एंगल से आसान होने जा रहा है। भारतीय टीम की आखिरी समय में जिस तरह से बल्लेबाजी की पुरानी खामी उभरकर सामने आयी है, उससे जो टीम दो साल पहले तेंदुलकर और गावस्कर के जमाने की टीम से आगे निकल आयी थी (जब कोई एक खिलाड़ी पर्फोम करके टीम को जीत दिलाता था), अब फि र से पुराने ढर्रे पर लौटती दिख रही है जिस कारण विराट कोहली पर जीत का बहुत ज्यादा दारोमदार आ टिका है। पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से हमारी टीम विराट कोहली और धोनी के पर्फोम पर निर्भर होती दिखने लगी है, उससे डर लगने लगा है कि विश्वकप में अगर यही हाल रहा तो जीतना तो दूर क्या हम सेमीफाइनल तक भी पहुंच पायेंगे?