पंजाब में डेरा सिरसा के पांव व्यापक स्तर पर उखड़े

जालन्धर, 24 मार्च (मेजर सिंह): मालवा क्षेत्र के पांच ज़िलों संगरूर, मानसा, बठिंडा, फरीदकोट एवं मुक्तसर में फैले डेरा सच्चा सौदा सिरसा के पांव बड़े स्तर पर उखड़ गए हैं और विगत लगभग डेढ़ दशक इस क्षेत्र की राजनीति में तहलका मचाते आ रहे डेरे का वोट राजनीति में प्रभाव भी बेहद सीमित होकर रह गया है। फरीदकोट क्षेत्र में घटित बेअदबी की घटनाओं में डेरा प्रेमियों की शमूलियत का पर्दाफाश होने के पश्चात डेरा प्रेमियों का बड़ा हिस्सा उनसे किनारा कर लिया है। डेरा सिरसा के प्रमुख के दुष्कर्म के आरोप में कैद होने एवं फिर बेअदबी मामले में डेरा प्रेमियों की गिरफ्तारियों के कारण अब राजनीतिक पार्टियों वाले भी डेरे का समर्थन हासिल करने से तौबा कर रहे हैं। पांच ज़िलों में विभिन्न क्षेत्रों में विचरने वाले लोगों, राजनीतिक नेताओं, पत्रकारों एवं बुद्धिजीवियों से की जांच एवं सरकारी खुफिया तंत्र की रिपोर्टों से यही बात सामने आ रही है कि डेरे की सरगर्मियों से प्रभावित होने वाले आम लोग बड़े स्तर पर डेरे की गाड़ी से उतर चुके हैं और केवल अग्रिम पंक्ति वाले नेता या कट्टर समर्थक ही उनके साथ खड़े हैं। डेरे के सबसे सक्रिय रहे क्षेत्र कोटकपूरा, बाजाखाना, सलाबतपुरा एवं भगता भाई में इस समय प्रथम पंक्ति के कट्टर डेरा प्रेमी तो अभी भी समर्थक हैं, परन्तु पूरी तरह चुप्पी धारण किए बैठे हैं। जबकि बहाव में आकर जुड़ी आम जनता बड़े स्तर पर डेरे से मुंह मोड़ गई है। पता चला है कि बरगाड़ी के पास गांव गुरुसर में डेरा का बड़ा स्टोर था। इस स्टोर से डेरे में बने बिस्कुट, करियाना, रैडीमैड गारमैंट्स सहित अन्य अनेक किस्म की वस्तुएं गांवों के भंगीदारों की दुकानों को सप्लाई होती थीं। इस स्टोर से हर रोज लाखों रुपयों का माल सप्लाई होता था। यह स्टोर अब विगत लगभग दो वर्ष से बंद है। बाजाखाना में चलती दुकानें बंद हो गई हैं। डेरे का राजनीतिक विंग उखड़ा : किसी समय राजनीतिज्ञों को चक्रव्यूह में डालने के लिए डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम द्वारा बनाया गया राजनीतिक विंग पूरी तरह बिखर गया दिखाई दे रहा है। डेरे की ताकत बड़े स्तर पर नष्ट हो जाने के कारण ही अब पंजाब के राजनीतिज्ञ डेरे से परस्पर दूरी बनाए रखने के बयानों में एक दूसरे से आग निकल रहे हैं।