ब्रिज कोर्स न करने के कारण प्रदेश भर के बी.एड अध्यापकों का भविष्य खतरे में

जालन्धर, 28 मार्च (रणजीत सिंह सोढी): राष्ट्रीय शिक्षा परिषद् द्वारा शिक्षा के अधिकार कानून एक्ट 2009 के तहत 31 मार्च 2015 से देश भर के सभी राज्यों सहित यू.टी. के बी.एड अध्यापकों/ई.टी.टी. अध्यापकों को 6 महीने का ब्रिज कोर्स करवाना ज़रूरी है, जिसमें उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश में 90 फीसदी केन्द्र सरकार व 10 फीसदी राज्य सरकार, यू.टी. ट 100 फीसदी केन्द्र सरकार व देश के शेष प्रदेशों में 60 फीसदी केन्द्र सरकार व 40 फीसदी राज्य सरकार  ने 453.62 करोड़ खर्च कर कोर्स करवाना था। जिसकी सीमा अवधि 31 मार्च 2019 रखी गई है। समय की राज्य सरकारों ने पहले तो एलीमैंटरी स्कूलों में तैनात बी.एड अध्यापकों को इस दुविधा में रखा कि वह ब्रिज कोर्स अपने खर्च पर करें जो अभी तक किसी ने भी नहीं किया। प्रदेश में 14 हज़ार के लगभग बी.एड अध्यापक प्राईवेट व एलीमैंटरी स्कूलों में तैनात हैं। राष्ट्रीय शिक्षा परिषद् ने देशभर में सभी प्रदेशों को 31 मार्च 2019 तक ब्रिज कोर्स करवाना ज़रूरी किया था, परन्तु राज्य सरकारों द्वारा पहले तो यह असमंजस ही रहा कि किसने करना है या किसने नहीं करना है। परन्तु केन्द्र सरकार के निर्देशों से उलट राज्य सरकार ने इस ब्रिज कोर्स को अध्यापकों को अपने खर्चे पर करने के लिए पाबंद कर दिया। राष्ट्रीय शिक्षा परिषद् बी.एड. अध्यापकों द्वारा ब्रिज कोर्स न करने के कारण 1 अप्रैल 2019 से सख्त कार्रवाई करने के लिए तैयारी में है, जिसके साथ प्रदेश के 14 हज़ार के लगभग बी.एड अध्यापकों का भविष्य खतरे में है।