अप्रैल फूल : एक दिन मस्ती का!

एक अप्रैल का दिन पूरे विश्व में मूर्ख दिवस या अप्रैल फूल दिवस के नाम से प्रसिद्ध है। यह दिन मूर्ख बनकर या मूर्ख बनाकर भी मन को सुख देता है। यही अनूठा भाव ही इसकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है। मूर्ख बनने या बनाने का अर्थ ठगने या ठगाने से नहीं है वरन इसका संबंध थोड़ा-सा आनंद पाने की उन मानवीय भावनाओं से है जिसके लिये हर व्यक्ति जीवन में दिन-रात जूझता है। एक अप्रैल को किसी भी मित्र को मूर्ख बनाने का अपना अलग ही मजा है। हो सकता है कि मूर्ख बनने वाले को थोड़ा बहुत कष्ट पहुंचे पर मूर्ख बनाने वाले को मजा आता है। यदि बनाने वाला होशियार है तो काफी मगजपच्ची करने के पश्चात् ही मूर्ख बनने वाला यह समझ जाता है कि उसे ‘अप्रैल फूल’ बनाया गया है और यदि जिसे मूर्ख बनाने की कोशिश की जा रही है, वह आपसे ज्यादा दिमागदार निकला या उसने भांप लिया कि आप उसका उल्लू बनाने की कोशिश कर रहें हैं तो हो सकता आप ही अप्रैल फूल बन जाएं हालांकि इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि मजाक से किसी का बुरा न हो जाए   ‘अप्रैल फूल डे’ यानी ‘मूर्ख दिवस’ को  एक अप्रैल के दिन विश्वभर में मौज-मस्ती और हंसी-मजाक के लिए दूसरों को मूर्ख बनाते हुए मनाया जाता है। अपने मित्रों, पड़ोसियों और यहां तक कि घर के सदस्यों से भी हंसी-मजाक, मूर्खतापूर्ण कार्य और धोखे में डालने वाले उपहार देकर  ‘अप्रैल फूल डे’ का आनंद ले सकते हैं। कब, कैसे व कहां से शुरू माना जाता है कि अप्रैल फूल की शुरुआत 17वीं सदी से हुई परन्तु पहली अप्रैल को ‘फूल्स डे’ के रूप मे लोगों के साथ हंसी मजाक करने का सिलसिला सन् 1564 के बाद फ्रांस से शुरू हुआ। इस की कहानी बड़ी मनोरंजक है। 1564 से पहले यूरोप के लगभग सभी देशों मेें एक जैसा कैलेंडर प्रचलित था जिसमें हर नया वर्ष पहली अप्रैल से शुरू होता था। तब पहली अप्रैल को लोग नववर्ष के प्रथम दिन की तरह इसी प्रकार मनाते थे जैसे आज पहली जनवरी को मनाते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को नववर्ष के उपहार देते थे, शुभ-कामनाएं भेजते थे और एक दूसरे के घर मिलने को जाया करते थे। सन् 1564 में वहां के राजा चार्ल्स नवम ने एक बेहतर कैलेंडर को अपनाने का आदेश दिया। इस नए कैलेंडर में आज की तरह एक जनवरी को वर्ष का प्रथम दिन माना गया था। अधिकतर लोगों ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया लेकिन कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्होंने नए कैलेंडर को अपनाने से इन्कार कर दिया था। वह पहली जनवरी को वर्ष का नया दिन न मानकर पहली अप्रैल को ही वर्ष का पहला दिन मानते थे। ऐसे लोगों को मूर्ख समझकर नया कैलेंडर अपनाने वालों ने पहली अप्रैल के दिन विचित्र प्रकार के उपहार देने शुरू कर दिए और तब से आज तक पहली अप्रैल ‘फूल्स डे’ के रूप में मनाते  हैं। दुनियाभर में अप्रैल फूल : भारत के अलावा विदेशों में भी लोग अपनी-अपनी संस्कृति के अनुसार ‘मूर्ख दिवस’ मनाते हैं। चीन में ‘अप्रैल फूल’ के दिन बैरंग पार्सल भेजने और मिठाई बांटने की परंपरा है। इस दिन यहां के बच्चे जंगली जानवर के मुखौटे पहनकर आने-जाने वाले लोगों को डराते हैं। कई लोग तो सच में जानवर समझ कर डर जाते हैं। जापान में बच्चे पतंग पर इनामी घोषणा लिख कर उड़ाते हैं। पतंग पकड़ कर इनाम मांगने वाला ‘अप्रैल फूल’ बन जाता है। इंग्लैंड में मूर्खता भरे गीत गाकर, मूर्ख बनाया जाता है। स्कॉटलैंड में ‘मूर्ख दिवस’ पर मुर्गे चुराने की विशेष परंपरा है। मुर्गे का मालिक भी इसका बुरा नहीं मानता। स्पेन में इस दिन हंसी-मजाक का कार्यक्र म चलता है।  आज जीवन की भागदौड़ में हर व्यक्ति तनाव और समस्याओं का सामना करता है और आपसी संबंधों में भी अविश्वास और अहं भाव के कारण कटुता महसूस करता है। ऐसे में मूर्ख दिवस कुछ समय के लिये ही सही, लोगों के चेहरे पर हंसी देने के साथ ही मन को आनंद से भरता है। जो व्यक्ति इस क्षण को सकारात्मक भाव से जी लेता है, वह स्वयं को तनावरहित करने के साथ ही सुख, शांति और विश्वास की ऊर्जा पाकर इस दिन को सार्थक बना सकता है।

(युवराज)