‘अप्रैल फूल डे’ से जुड़ी हैं कई मान्यताएं

‘अप्रैल फूल डे’ से अन्य भी बहुत सारी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। संसार भर में लोग इस दिन दूसरों का मज़ाक बनाते हैं। पारम्परिक तौर पर कई देशों में केवल दोपहर 12 बजे तक ही मज़ाक किया जाता है या प्रैक्स खेले जाते हैं। 12 बजे के बाद जो आदमी मज़ाक बनाता है, उसे अप्रैल फूल कहकर चिढ़ाया जाता है। लेकिन अमरीका, आयरलैंड, फ्रांस आदि देशों में पूरा दिन जोक्स चलते हैं। फ्रैंच में इस दिन को ‘पायज़न डी एवरिल’ या ‘अप्रैल फिश’ कहते हैं। फ्रांसीसी बच्चे अपने सहपाठियों की पीठ पर मछली की तस्वीर चिपका देते हैं और जब उस बच्चे को इसकी जानकारी होती है तो बाकी ‘पायज़न डी एवरिल’ चिल्लाते हैं। मूर्ख दिवस यानी अप्रैल फूल्स डे कैसे आरंभ हुआ?  इस विषय पर कोई एक मान्य  राय नहीं है। इस बारे में अनेक मान्यताएं हैं।  सर्वाधिक प्रचलित मान्यता ब्रिटेन के लेखक चॉसर की पुस्तक ‘द कैंटरबरी टेल्स’ की एक कहानी पर आधारित है।चॉसर ने अपनी इस पुस्तक में कैंटरबरी का उल्लेख किया है जहां 13वीं सदी में इंग्लैंड के राजा रिचर्ड सेकेंड और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई 32 मार्च 1381 को आयोजित किए जाने की घोषणा की जाती है। कैंटरबरी के जन-साधारण इसे सही मान लेते हैं यद्यपि 32 मार्च तो होता ही नहीं है। इस प्रकार इस तिथि को सही मानकर वहां के लोग मूर्ख बन जाते है। तभी से एक अप्रैल को मूर्ख दिवस अर्थात अप्रैल फूल डे मनाया जाने लगा।