उद्देश्य से भटक पूरी हुई लंगड़ी मैराथन

फिरोज़पुर, 31 मार्च (जसविन्द्र सिंह संधू): तंदुरुस्त पंजाब मुहिंम का हिस्सा करवाई गई जिला स्तरीय मैराथन डिप्टी कमिशनर चन्द्र गैंद के सराहनीय यतनों के बावजूद भी मंतव से भटक लंगड़ी और दिशा-हीन दौड़ साबित हुई, जिसमें आम जनता या खिलाड़ियों की बजाए स्कूल-कालेज के प्रबंधकों द्वारा जबरदस्ती लाए विद्यार्थी ज्यादा नज़र आए। लोक चर्चा के अनुसार शिक्षा, सेहत आदि विभागों द्वारा कारोबारियों को डाली वित्तीय वंगारों से इक्टठे मैराथन पर खर्चे लाखों तब मिट्टी हुए, जब स्लम बस्तियों या शहर-छावनी में गुजर आम जनता को जागरूक करने की बजाए फौजी क्षेत्र वाली माल रोड़ पर दौड़ कर फौजियों को ही नशा छोड़ने और वोट डालने का संदेश देते प्रतीत हुए, क्योंकि उस समय मार्ग से आवाजाई भी ठप्प कर अन्यों मार्गो से शहर-छावनी आने-जाने के बदलवे प्रबंध किऐ गए, जिसके कारण दौड़ के असल मंतव से आम जनता दूर ही नही। चिंता की बात है कि खेल विभाग के नेतृत्व में करवाई जा रही मैराथन किस को कहते हैं कितने किलोमीटर की होती है, के बारे खेल अधिकारियों को ही नही पता, क्योंकि 42 किलोमीटर 385 गज दूरी वाली दौड़ को मैराथन और 21 किलोमीटर 192 गज के करीब दौड़ को ह़ाफ मैराथन का नाम दिया जाता, पंरतु आज खेल विभाग ने 5 और 10 किलोमीटर फन नुमा दौड़ को बड़े-बड़े बोर्ड लगा कर मैराथन का नाम देने की कोशिश की गई, जिसमें दौड़ने वाले हजारों बच्चों में सिर्फ 10 किलोमीटर दौड़ के आधे वाला 5 किलोमीटर दूरी के गौल़फ कोर्स नज़दीक स्थापित किए केन्द्र को हाथ लगाने वालों की गिणती बेशक 50 के करीब है, पंरतु केन्द्र पर बैठे प्रबंधकों से पर्ची हासिल करके वापिस आने वालों की गिणती सिर्फ 7 लड़कियां और 17 लड़के के करीब बताई जा रही है।