श्रीनगर: नेशनल कांफ्रेंस के नेता फ़ारुख़ अब्दुल्ला को नजरबंदी से रिहा किया गया

श्रीनगर, (भाषा) : जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ सख्त जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) निरस्त किये जाने के बाद अब्दुल्ला को सात महीने की हिरासत से शुक्रवार को रिहा कर दिया गया। रिहाई के तत्काल बाद अब्दुल्ला यहां गुपकार रोड स्थित अपने आवास से बाहर निकले और कहा कि उनके बेटे एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती तथा केन्द्र शासित क्षेत्र के अन्य जेलों में बंद नेताओं को तत्काल रिहा किया जाए। अब्दुल्ला ने अपने आवास के लॉन में संवाददाताओं से कहा,‘आज मैं आजाद हूं, लेकिन यह आज़ादी पूर्ण नहीं है। यह तभी पूरी होगी जब उमर, महबूबा मुफ्ती तथा जेलों में बंद अन्य नेताओं को रिहा किया जाएगा।’ केंद्र शासित क्षेत्र के गृह सचिव शालीन काबरा की ओर से जारी आदेश के मुताबिक श्रीनगर के जिलाधिकारी द्वारा 15 सितम्बर को जारी पीएसए और फिर 13 दिसम्बर को इसकी अवधि तीन महीने के लिए बढ़ाए जाने को समाप्त कर दिया गया है। अब्दुल्ला को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया था। इस कानून के तहत प्रशासन किसी व्यक्ति को सुनवाई के बगैर तीन महीने तक हिरासत में रख सकता है। इसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। रिहाई के बाद अब्दुल्ला यहां हजरतबल में डल झील के किनारे बनी अपने पिता शेख अब्दुल्ला की कब्र पर गए। 
इस दौरान उन्होंने काला कुर्ता पहना हुआ था और पारंपरिक ‘काराकुली’ टोपी पहनी थी। इसके अलावा आंखों पर काला चश्मा था। पिता की कब्रगाह पर वह थोड़ी देर ठहरे। इस दौरान उनकी पत्नी मौली अब्दुल्ला, बेटी सफिया और पौत्र अदीम सहित परिवार के अन्य सदस्य उनके साथ थे। उन्होंने उम्मीद जताई कि वह संसद के सत्र में शामिल होंगे ताकि वह लोगों की आवाज उठा सकें। अब्दुल्ला की रिहाई के ठीक बाद उनकी पार्टी नेशनल कांफ्रेंस ने निर्णय का स्वागत करते हुए बयान जारी करके केन्द्र शासित क्षेत्र के प्रशासन से उमर अब्दुल्ला सहित अन्य नेताओं को शीघ्र रिहा करने की अपील की। नैशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि पार्टी के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला को हिरासत से रिहा करना जम्मू-कश्मीर में वास्तविक राजनीतिक प्रक्रिया बहाल करने की दिशा में सही कदम है। नैशनल कांफ्रेंस (एनसी) ने कहा कि प्रक्रिया को और गति तब मिलेगी जब पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और अन्य राजनीतिज्ञों की रिहाई होगी। हम सरकार से उनकी यथाशीघ्र रिहाई की अपील करते हैं। अब्दुल्ला की रिहाई पर अन्य दलों के नेताओं ने प्रसन्नता व्यक्त की और उम्मीद जताई कि हिरासत में लिए गए अन्य नेताओं को शीघ्र रिहा किया जाएगा। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि अब्दुल्ला को पहले ही रिहा कर दिया जाना चाहिए था। महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने उन सभी नेताओं को रिहा करने की मांग की जिन्हें अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के बाद हिरासत में ले लिया गया था। पी. चिदंबरम ने कहा, ‘डा. फारूक़ अब्दुल्ला, आजाद हवा में स्वागत है। बगैर आरोपों के सात महीने तक उन्हें हिरासत में रखने का क्या औचित्य था? यदि यह उचित था (ऐसा कुछ नहीं था), तो उन्हें आज रिहा करने का क्या कारण है?’