रोज़गार की आशा में बैठी जवानी के जोड़ों में बैठा कोरोना

फाज़िल्का, 14 जून (दविन्द्र पाल सिंह): पंजाब ही नहीं, पूरे देश भर की जवानी की रोज़गार के लिए लाइनें आशाओं का कोरोना महामारी ने कमर तोड़ कर रख दी है। राज्य, देश व विदेशों में रोज़गार की सम्भावनाएं मध्य पड़ने लग पड़ी हैं। देशभर की कई सरकारों ने नई भर्ती पर पूर्ण पाबंदी लगा दी है। कुछ राज्यों ने रस्मी घोषणा कर दी है परन्तु कुछ राज्यों ने रस्मी घोषणा नहीं की परन्तु नई भर्ती के लिए देश के सभी राज्यों की स्थिति एक जैसी है। देश भर में 15 से 45 वर्ष के लगभग 30 करोड़ लोगों को रोज़गार की आशा है, परन्तु नई भर्ती या काम के नए साधन तो पैदा क्या होने, उलटा 7-8 करोड़ लोग अपना रोज़गार खो चुके हैं। सबसे अधिक मार स्वै-रोज़गार व प्राइवेट सैक्टर में लगे नौजवानों को पड़ी है, क्योंकि छोटी-मोटी इकाईयां बंद हो गईं तथा शेष बड़े संस्थान इस हद तक ऋण में डूब गए हैं कि अब 10 वर्ष ऊपर नहीं उठ सकते। यदि पंजाब की बात करें तो रोज़गार के लिए घर-घर नौकरी हर घर नौकरी वाला नारा पूरी तरह ही दम तोड़ चुका है। पंजाब सरकार ने 3 वर्षों में सरकारी संस्थान में 6 से 8 हज़ार के लगभग अस्थाई-स्थाई कर्मचारी भती किए। 10-15 हज़ार नौजवानों को रोज़गार मेले लगवाकर प्राइवेट सैक्टर में रोज़गार दिलाया, परन्तु उद्योगों व अन्य संस्थान बंद होने के कारण वह पुन: से बेरोज़गार हो गए हैं। पंजाब में 20 से 40 वर्ष आयु की लगभग 42 लाख की सेना बेरोज़गार है, जो सरकारों के मुंह की ओर देख रही है। लाखों बेरोज़गार सरकारी नौकरी लगने की 37 वर्ष आयु पार चुके हैं जिस तरह के हालात हैं, यदि स्थिति नहीं सुधरी तो 5-6 लाख नौजवान हर नौकरी लगने की आयु पार कर जाएंगे। सरकारों की नालायकी से बेमुख होकर पंजाब की जवानी पढ़ाई के साथ-साथ रोज़गार प्राप्ति के लिए विदेश उड़ारी मार रही थी परन्तु कोरोना महामारी के चलते उधर से भी दरवाज़े बंद हो गए हैं जिससे पंजाब में बेरोज़गारी का संकट और गहरा हो गया है।