क्या ऐसे बाज़ी पलट सकेंगी सोनिया गांधी ?

राजनीतिक दलों की तुलना कामकाज को लेकर तो हो सकती है लेकिन नीतियां और कार्यशैली हर दल की अपने ढंग की होती हैं और उस पर सबसे अधिक प्रभाव उस दल के नेतृत्व का होता है। चाहे वह औपचारिक प्रमुख हो या नहीं। कांग्रेस आजकल अपने नवरत्नों के हाथों परेशानी के दौर से गुज़र रही है। इतिहास में मुगल सम्राट अकबर का उल्लेख मिलता है कि उसके नौ रत्न थे जिन्होंने उसे सफल शहंशाह सिद्ध कर दिया। श्रीमती सोनिया गांधी के भी नौ रत्न हैं जिनमें राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा, मोती लाल वोहरा, अहमद पटेल, दिग्विजय सिंह, मणि शंकर अय्यर, शशि थरूर, सलमान खुर्शीद और पी. चिदम्बरम। अब हालत यह है कि देश कई प्रकार के संकटों से गुज़र रहा है। एक तरफ चीन आंखें तरेर रहा है, पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा और दूसरी तरफ कोरोना महामारी के कारण आर्थिक और बेरोज़गारी की समस्याओं से देश जूझ रहा है। ऐेसे में नवरत्न कांग्रेस को जन-साधारण की नज़रों में नायक से खलनायक बनाने पर तुले हुए हैं। यह भी हकीकत है कि राज नेता किसी भी दल का हो उसे मीडिया में अपनी सूरत दिखाने और किसी तरह सुर्खियों में बने रहने का शौक होता है क्योंकि वह जानता है कि नीतियां और कारगुज़ारी हर समय जनता के सामने तो आ नहीं सकती इसलिए वह बेमतलब के बयान देकर समाचार पत्रों और इलैक्ट्रानिक मीडिया में बने रहने का चस्का पूरा कर लेते हैं। पाकिस्तान भारत से घृणा के आधार पर जीवित है यह बात तो कांग्रेस के नेता भी जानते होंगे। राहुल गांधी और शशि थरूर के साथ मणि शंकर अय्यर, ये ऐसे नेता हैं जो पाकिस्तान को भारत से ऊपर मानने वाली बात कह कर सत्ता से टूटते अपने सब्र को थपकी दे रहे हैं। शशि थरूर ने इन दिनों लाहौर लिटरेचर फैस्टिवल में वीडियो कांफ्रैंसिंग के माध्यम से हिस्सा लेते हुए न सिर्फ नरेन्द्र मोदी के प्रबंधन की आलोचना की बल्कि पाकिस्तान की प्रशंसा भी की और कहा कि पाकिस्तान भारत से बेहतर है। थरूर ने कहा कि पूर्वोत्तर के लोगों की शक्ल और सूरत के कारण उनके साथ सही व्यवहार नहीं होता। वैसे थरूर पहले कांग्रेसी तो है नहीं जिन्होंने पाकिस्तान के कसीदे पढ़े हों। इससे पूर्व राहुल गांधी  ने 5 अगस्त, 2019 को जब अनुच्छेद 370 और 35-ए को समाप्त कर कश्मीर को भारत के साथ एक सूत्र में बांधा तब राहुल गांधी ने कहा था कि इस अनुच्छेद के हटने के कारण घाटी में सैकड़ों लोग मारे गए जबकि भारतीय गृह मंत्री ने इस पर कहा था कि कश्मीर में न तो एक गोली चली और न ही एक निर्दोष कश्मीरी मारा गया। एक बार कांग्रेस का बड़बोला लीडर मणिशंकर अय्यर भी जब लाहौर गया तब उसने वहां जाकर यह कहा था कि यदि पाकिस्तान भारत से दोस्ती करना चाहता है तो उसे मोदी सरकार को गिराना होगा। सलमान खुर्शीद कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार में विदेश मंत्री रहने पर भी भारत की विदेश नीति को समझ नहीं सके और उन्होंने इस्लामाबाद में कहा था कि पाकिस्तान शांति चाहता है, दोस्ती चाहता है परन्तु नरेन्द्र मोदी और भारत की भाजपा सरकार नहीं चाहती। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि वह अनुच्छेद 370 पुन: लागू कराएंगे, इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदम्बरम ने इमरान खान के कथन को सहमति दी, जिसका प्रभाव यह हुआ कि फारूक अब्दुल्ला ने एक मीटिंग अपने निवास पर बुलाई और इस मीटिंग में कांग्रेस शामिल नहीं हुई परन्तु जो दल शामिल हुए उनमें नैशनल कांफ्रैंस, पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कांफ्रैंस, पीपुल्स मूवमैंट इत्यादि थे और इस मीटिंग में सभी ने भारत सरकार पर अपनी भड़ास खूब निकाली और औपचारिक रूप से एक गठबंधन बना लिया जिसका नाम ‘पीपुल्स एलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन’ रखा। यह तो सब जानते हैं कि फारूक अब्दुल्ला इस काम के लिए चीन से समर्थन मांगने तक की बात कह चुके हैं। अब प्रश्न उठता है कि क्या सोनिया गांधी अपने इन नवरत्नों से सहमत हैं? लोकसभा में विपक्षी दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी कश्मीर को द्विपक्षीय मसला बताया है। अधीर रंजन चौधरी का बयान संयुक्त राष्ट्र संघ तक पहुंचा। नवाज़ शरीफ जो लंदन में निर्वसन का जीवन गुज़ार रहे हैं उन्होंने खुलकर एक साक्षात्कार में कहा कि पाकिस्तान में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है जिससे खीझ कर नवाज़ शरीफ के दामाद जे आई.जी. पुलिस हैं और मुस्लिम लीग नवाज़ की नेता मरियम शरीफ के पति भी हैं, को एक होटल का दरवाज़ा तोड़ कर गिरफ्तार किया गया। इसके बाद पुलिस और पाक सेना में संघर्ष हुआ जिसमें पुलिस के कई जवान मारे गए। क्या यह सब शशि थरूर, राहुल गांधी और पी. चिदम्बरम इत्यादि नहीं देख रहे। कांग्रेस पर तरस खाएं और उसे अच्छी राह पर चलने का सहारा बनें।