कहानी देव सर पगले की

(क्रम जोड़ने के लिए पिछला रविवारीय अंक देखें)
आंग्ल भाषा ग्रामर कर समझाना शुरू किया तभी एक छात्र ने अपने आगे बैठे छात्र के सिर पर थप्पड़ जड़ दिया। थप्पड़ पड़ते ही वह छात्र चिल्लाया, ‘गुरु जी देखो सुरेश ने मेरे सिर पर थप्पड़ मारा है।’ और यह कहते ही उसने अपने आगे बैठे छात्र के सिर पर थप्पड़ जड़ दिया। इससे पहले कि छूत की बीमारी आगे बढ़े, देव सर की कड़कती आवाज़ गूंज उठी-
‘खड़े हो जाओ।’
‘क्या नाम है तुम्हारा?’
‘मोहन!’
‘यहां आओ।’
पूरी क्लास पर खामोशी छाई थी। घबराया हुआ मोहन उनके पास पहुंचा। एक ज़ोरदार थप्पड़ उसके गाल पर पड़ा। ‘जाओ अब बैठो। बदतमीजी बर्दाश्त नहीं होगी। हर बात सीमा में ही अच्छी रहती है।’ थोड़ी देर खामोश रहने के बाद एक बार फिर देव सर की कड़कती आवाज़ गूंज उठी, ‘सुरेश इधर आओ।’ पूरी क्लास सोच रही थी, सुरेश को भी एक करारा थप्पड़ पड़ेगा, सुरेश उनके पास पहुंचा। देव सर का मूड़ बदल चुका था। उन्होंने बड़े प्यार से उसे समझाया, ‘क्लास को क्लास समझो। घर या हंसी-मज़ाक की स्टेज नहीं। पढ़ने आए हो पढ़ाई पर ध्यान रखना। फिर मेरी क्लास में ऐसी हरकत नहीं होनी चाहिए। जाओ अपने स्थान पर बैठो।’ सुरेश चुपचाप अपनी सीट पर जाकर बैठ गया। मगर तभी आंखों में आंसू, होंठों पर शिकायत लेकर मोहन उनके पास पहुंच गया, ‘मेरे साथ आप की कौन-सी दुश्मनी है, मुझे तो इतने ज़ोर से थप्पड़ मारा और सुरेश को इतने प्यार से समझाया।’इतने कहते-कहते मोहन और ज़ोर से रोने लगा। देव सर ने उसे अपने सीने से लगाया। कुछ देर उसकी ओर देखते रहे। फिर सारी क्लास को देखा। जो पूर्ण खामोशी के साथ देव सर और मोहन की ओर देख रही थी। तभी सर ने कहना शुरू किया, ‘आज आपके कालेज में पढ़ाने का मेरा पहला दिन है। घर से चलने से पहले सोचा था, मैं अपने छात्रों को बिल्कुल नहीं मारूंगा, जब भी कोई गलती करेगा, प्यार से समझाऊंगा। क्योंकि मेरा मानना है कि प्यार जैसी ताकत और किसी चीज़ में नहीं है। मोहन को थप्पड़ लगने के बाद मेरे मन में आया मैं भूलकर बैठा हूं, इसीलिए सुरेश को पास बुलाने के बाद मैंने उसे प्यार से समझाया।’ देव सर चुप हो गए। मोहन ने देव सर के पांव छुए। क्षमा-याचना की। देव सर की आंखों की नमी और आवाज़ का गीलापन किसी से छुपा न रह सका। उसके बाद देव सर ने जब तक कालेज में पढ़ाया कभी कोई अप्रिय घटना न घटी। छात्र उनसे प्यार करने लगे। उनकी हर बात मानने को तैयार रहते। एक बार देव सर से मिलकर कालेज के सभी कमरों में वाइट वाश छात्रों द्वारा किया गया। आफिस के सामने जो बड़ा ब़गीचा बना है, इसे गर्मियों की छुट्टियों में छात्रों के साथ मिलकर देव सर ने बनाया था, ऐसा ही कुछ मैं देव सर के बारे में जानता हूं। बातचीत बहुत लम्बी हो गई। उनकी इजाज़त ले, धन्यवाद के शब्द कह, दिल में देव सर की कहानी बसाए वहां से चल पड़े। (समाप्त)

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