राघव मिश्रा ने बुलंद हौसले से बनाया रिकार्ड

राघव मिश्रा बहुत ही कम आयु का परन्तु बड़े मज़बूत इरादों वाला नौजवान है, जिसने बुलंद हौसले से बड़ा रिकार्ड बनाकर सिद्ध कर दिया है कि यदि लक्ष्य पर पहुंचना हो तो इरादे मज़बूत चाहिए। राघव मिश्रा का जन्म 2 अगस्त, 2002 में पिता अजीत मिश्रा और माता कंचन मिश्रा के घर उत्तर प्रदेश के जिला नौनपुर के गांव बारगांव में हुआ। वर्ष 2005 में हुई एक दुर्घटना में वह स्पाइनल कोर्ड इंज्री का शिकार हो गया यानि उसके निचले भाग ने काम करना बंद कर दिया। उसकी ज़िन्दगी एक व्हीलचेयर पर आ गई परन्तु उसके भीतर कुछ कर गुज़रने की चाहत और खेलों के साथ लगाव ने उसे कम आयु में ही खेल बोसिया के साथ जोड़ दिया। हाल ही में उसने विशाखापट्नम में हुई नैशनल पैरा बोसिया चैम्पियनशिप में तीसरा स्थान प्राप्त किया। इसके साथ ही एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी गो को हराकर उसने नया कीर्तिमान स्थापित किया। राघव मिश्रा के साथ दुर्घटना हुए को 13 वर्ष बीत चुके हैं परन्तु उसके हौसले की उड़ान कम नहीं हुई। वह देश के लिए बड़े रिकार्ड बनाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है। राघव मिश्रा ने बाताया कि सरकार की ओर से उसे कोई भी सहायता नहीं मिल रही यदि सरकार उसे सहायता दे तो वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल कर देश का गौरव बन सकता है। उसने कहा कि विकलांगता के कारण अपने पांवों पर खड़ा नहीं हो सकता। जहां एक तरफ राघव मिश्रा अपनी विकलांगता से जूझ रहा है, वहीं वह बहुत ही कम आयु में खेलों के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए अपने कोच जसप्रीत सिंह धालीवाल और डाक्टर रमनदीप सिंह के नेतृत्व में बोसिया खेल की तैयारी में व्यस्त है।