‘हम यह लड़ाई इकट्ठे लड़ेंगे’

अधिक जनसंख्या वाले और कमियों से परिपूर्ण इस देश में यदि बड़ी महामारी हमला कर दे तो एकाएक त्रासदी का बढ़ते जाने स्वाभाविक है। पिछले दिनों कोरोना की फैली दूसरी लहर ने एक प्रकार से समूचे देश को जकड़ लिया है। बीमारों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है तथा इससे नित्य-प्रति हज़ारों तक मौतें होने के कारण देश की स्वास्थ्य संबंधी आधारभूत सुविधाओं का पर्दाफाश हो गया है। पहले अमरीका, ब्राज़ील एवं ब्रिटेन मेें अपना विद्रूप चेहरा दिखाने के बाद इसने आंधी की भांति भारत की ओर रुख किया है। उपलब्ध हो रहे आंकड़े भयावह होते जा रहे हैं। मरीज़ों की संख्या पौने 2 करोड़ से ऊपर हो गई है। विगत एक सप्ताह से प्रतिदिन 3 लाख से अधिक नये मरीज़ों के आने के समाचार मिल रहे हैं तथा मृतकों की संख्या भी लगभग 2 लाख तक पहुंच गई है। 
वर्ष भर से इस संबंध में टीका आविष्कार करने के लिए दुनिया भर की भिन्न-भिन्न कम्पनियों की ओर से किये जा रहे प्रयासों की लोगों को परिणाम आने की प्रतीक्षा बनी हुई थी। भारत में विदेशी कम्पनियों के सहयोग से बने दो टीके स्वीकृत हो गये। टीकाकरण का अभियान भी तेज किया गया। अब तक 14 करोड़ से अधिक लोगों को ये टीके लगाये जा चुके हैं परन्तु देश की एक अरब 30 करोड़ से अधिक जनसंख्या के हिसाब से अभी तो पहले पायदान को ही छुआ गया है। नये आने वाले टीकों की भी बड़ी चर्चा बनी हुई है परन्तु इस अभियान को तूफानी तेज़ी से शुरू किये बिना कोई चारा दिखाई नहीं देता। अब बीमारी के दूसरे हमले से पहली आवश्यकता आक्सीज़न की है क्योंकि इस बीमारी का फेफड़ों से भी बड़ा संबंध है तथा सांस लेने की तकलीफ मरीज़ के लिए जानलेवा सिद्ध हो रही है। पिछले दिनों देश के बहुत-से अस्पतालों में आक्सीज़न की कमी के कारण मरते रहे मरीज़ों की घटनाओं ने इस त्रासदी को और भी बढ़ाया है। इसी बीच अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय की ओर से एकदम भारत की  सहायता करना सन्तोषजनक अवश्य है। विश्व के विकसित एवं अन्य बड़े देशों ने इस कठिन समय में भारत के साथ खड़े होने को अधिमान दिया है तथा एकदम वांछित सहायता भेजने के लिए पग उठाये हैं। 
इनमें अमरीका, फ्रांस, ब्रिटेन एवं संयुक्त अरब अमीरात (यू.ए.ई.) आदि शामिल हैं। सिंगापुर ने एकदम आक्सीज़न के चार कंटेनर भेजे हैं जिनमें 7500 से अधिक बड़ी संख्या में आक्सीज़न सिलैण्डर भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त उसने अन्य सम्बद्ध मशीनरी भी भेजी है। संयुक्त अरब अमीरात ने आक्सीज़न भरने के लिए 7 खाली क्रायोजेनिक सिलैण्डर भेजे हैं। ब्रिटेन की ओर से भेजे गये 600 वैंटीलेटर एवं आक्सीज़न कंटेनर मंगलवार को पहुंच गये हैं। अमरीका ने एकदम कोविशील्ड टीके के लिए कच्चा माल भेजने की सहमति जताई है। इसके साथ ही आक्सीज़न जैनरेटर, वैंटीलेटर और कई प्रकार की परीक्षण किटें भी भेजी गई हैं। फ्रांस भी बड़ी मात्रा में आक्सीज़न भेज रहा है। यूरोपीय यूनियन ने भी बचाव करने वाली सभी तरह की मशीनरी भेज दी है। इसी प्रकार जर्मनी, डेनमार्क, सऊदी अरब, ईरान एवं जापान ने संबंधित सहायता की बड़ी खेप भेजने में प्रतिबद्धता दिखाई है। रूस, आस्ट्रेलिया एवं कनाडा ने भी इस दिशा में पहल-कदमी शुरू कर दी है। 
भारत में बने नाज़ुक हालात एवं भारी त्रासदी की इस घड़ी में जो भावनाएं इन देशों ने व्यक्त की हैं, वे बड़ा हौसला बढ़ाने वाली हैं। सिंगापुर ने कहा है, ‘हम इकट्ठे होकर लड़ाई लड़ेंगे’। यू.ए.ई. की प्रसिद्ध इमारत बुर्ज ़खलीफा ने भारत के साथ प्रतिबद्धता दर्शाने के लिए रौशनियों के साथ वहां भारत के राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित किया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि दोस्त एवं भागीदार भारत के साथ हम पूरी तरह से खड़े हैं। अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारी सहायता सामग्री भेजते हुये कहा है कि जैसे हमारे दुख की घड़ी में भारत हमारे साथ खड़ा हुआ था, वैसे ही हम उसकी आवश्यकता के समय उसके साथ पूरी तरह से खड़े हैं। डेनमार्क ने कहा है कि इस कठिन समय में   मित्र के साथ खड़े होना ही सही मैत्री है। इसी प्रकार की भावनाएं अनेक देशों की ओर से व्यक्त किये जाने से देश एवं देशवासियों का हौसला और दृढ़ हुआ है। आगामी समय में भारत की ओर से भी अपने मित्र देशों के साथ खड़े होने को और भी अधिमान दिया जाना चाहिए ताकि किसी भी बड़ी समस्या के समय एक बड़ी साझ का यह विश्वास बना रहे। 
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द