नीरो : बादशाह से अपराधी बनने तक

रोम का इतिहास गवाही भरता है कि शायरी रोम के पांचवें बादशाह नीरो के शब्दों में घुली हुई थी। रंगमंच उन्हें स्वयं अपनी ओर आकर्षित कर लेता था। खेलना उनके शौक में शामिल था। संगीत उनकी आत्मा का भोजन था। रथ चलाना उनके शौक का शिखर था। ऐसा नीरो अपनी मां की हत्या नहीं कर सकता। यह नीरो अपनी जान से प्यारी गर्भवती महबूबा की अपने अजन्मे बच्चे सहित जान नहीं ले सकता। यह कैसे हो सकता है कि रोम का बादशाह ही रोम को आ़ग के हवाले कर दे। लेकिन यह सब सच है कि एक शायर, अदाकार, संगीतकार, खिलाड़ी और एक रथ-वाहक जैसे गुणों से भरपूर बादशाह नीरो महज़ 31 वर्ष की आयु में आत्महत्या करके मरने तक ऐसा दरिन्दा बन गया कि जीवित रहते हुये इन्सानों को आ़ग में उलटा लटका कर जला देना, पक्षियों का चीखें सुनने के लिए उनके पंखों को नोचना, मासूम और सुन्दर लड़कियों को जानवरों के आगे डालना और उनकी बेबसी का लुत्फ उठाने के लिए उन्हें अपनी वहशी पुलिस के आगे फैंक देना इत्यादि उनका प्रतिदिन का काम बन चुका था। नीरो रोम के पहले बादशाह सीज़र अगसटस की कुल जूलियो कलोडियन में से था। नीरो का जन्म आज से 1984 वर्ष पूर्व 15 दिसम्बर  37 ई. को लूसियस डैमेटिस आहनीबर्बस एंजियो इटली में हुआ। नीरो की मां एग्रिपन द यंगल रोम के तृतीय बादशाह लियूस कैलीगोला की सगी बहन थी। बादशाह कैलीगोला ने अपनी बहन एग्रिपन और भांजे नीरो को देश निकाला दे दिया था। दो वर्ष बाद जब इनकी पुन: अपने देश में वापसी हुई तो मामा-भांजे ने एक-दूसरे को मन से स्वीकार नहीं किया। दो वर्ष के देश निकाले के बाद चाचा कलोडियस की सहायता से यह घर तो आ गये लेकिन बादशाह मामा के साथ नीरो की एक पल भी न बनी। नीरो की मां ने बादशाह भाई के गुस्से से डरते हुये नीरो को यूनान पढ़ने के लिए भेज दिया। इसी दौरान नीरो के चाचा कलोडियस ने नीरो के मामा बादशाह लियूस कैलीगोला की हत्या कर दी और स्वयं रोम के चौथे बादशाह बन गये। कलोडियस द्वारा बादशाह की हत्या करने और बादशाह बनने की पूरी साजिश के पीछे एग्रिपन द यंगर का ही दिमाग बताया गया है। सन् 40 में तब नीरो महज़ तीन वर्ष के थे जब उनके पिता गनीज़ डोमेटिस आहनीबर्बस की मृत्यु हो गई। पिता ने अपने इस इकलौते पुत्र का नाम लियूसियस डोमेटिस आहानीबर्बस रखा था। नीरो की मां एग्रिपन द यंगर ने अपने पति की मृत्यु के बाद जल्द ही दूर की सोचते हुये बादशाह कलोडियस के साथ शादी कर ली। एग्रिपन द यंगर की इच्छा पूर्ति के तहत बादशाह कलोडियस ने नीरो को पूरी रस्मों के तहत गोद ले लिया और उसे इम्प्रेटर नीरो कलोडियस डीवी कलोडियस फीलीयस कैरसर ऐगसटस जरमैनीकस का नाम दिया। बादशाह ने नीरो को 14 वर्ष की आयु में ही एक सहायक के रूप में शासन के निकट ले आये। तीव्र बुद्धि की मलिका एग्रिपन द यंगर ने नीरो के 16 वर्ष का होने तक नीरो की शादी बादशाह कलोडियस की बेटी कलोडिया एक्टेविया से करवा दी और इसी तरह वह सन् 54 में नीरो को (17 वर्ष) की आयु में ही रोम का पांचवा बादशाह बनाने में सफल हो गई। एग्रिपन द यंगर ने नीरो के बादशाह बनने के उपरांत अपने पति कलोडियस की ज़हर देकर हत्या करवा दी। यहीं बस नहीं एग्रिपन ने बादशाह कलोडियस के 13 वर्ष इकलौते पुत्र बरीटानीकस की भी ज़हरीली शराब पिला कर हत्या करवा दी ताकि वह कल को कोई नीरो के आगे तख्त दावेदारी के तौर पर सिर न उठा सके।
 नीरो के बादशाह के तौर पर रोम पर शुरुआती दिन बहुत ही प्रशंसनीय चर्चाओं से गुज़रे।  राज्य प्रबंध में नीरो का मार्गदर्शन नीरो की मां एग्रिपन द यंगर, नीरो के प्रोफैसर लूसियस अत्रीस सेनेका और वज़ीर सेक्सटस अफ्रानियस बोरेस कर रहे  थे। इसी काल के दौरान बादशाह नीरो ने सबसे अधिक ध्यान  सांस्कृतिक, खेलों और व्यापार को उत्साहित करने की ओर दिया। नीरो के नेतृत्व में रोम के भीतर बड़े स्तर पर खेल स्टेडियम बनाये गये, रंगमंच के लिए सुविधाजनक प्रबन्ध हुये, जिनमें बादशाह नीरो स्वयं आगे होकर हिस्सा लिया करते। लेकिन एग्रिपन द यंगर की नीयत पर पर्दा पड़ चुका था। एग्रिपन ने उपरोक्त सभी कत्लेआम नीरो को रोम का बादशाह बनाने के लिए नहीं करवाई अपितु उसका लक्ष्य नीरो के नाम पर रोम पर स्वयं शासन करना था। अभी तक चल भी इसी तरह रहा था। नीरो रोम के बादशाह के होने बावजूद भी राज्य में आदेश उनकी मां एग्रिपन का ही चलता था और रोम के लोग सबसे अधिक सम्मान नीरो की मां को ही देते थे तथा राज्य के सभी फैसले एग्रिपन की सहमति के बिना लागू नहीं होते थे। शासन के पहले दो वर्षों के दौरान ही नीरो बादशाह होते हुये भी स्वयं को अपनी मां के हाथों की कठपुतली समझने लगा। बादशाह नीरो को अपने मार्गदर्शक प्रो. सीनेका और वज़ीर बोरेस पर ही विश्वास था। सन् 59 में वज़ीर बोरेस की मृत्यु हो जाने और प्रो. सीनेका के सेवानिवृत्त होने पर बादशाह नीरो अकेला रह गये। इन हालातों का लाभ उनके दरबारियों ने उठाया। उन्होंने बादशाह की चापलूसी करके नीरो को अपने चंगुल में फंसा लिया। नीरो को जब अपने बादशाह होने का एहसास हुआ तो उसने अपनी मां की दखल अंदाज़ी से किनारा करना शुरू कर दिया। नीरो ने अपनी मां एग्रिपन की राजनीतिक शक्तियां नाम मात्र और असहनशील कर दी। रोम में चलते सिक्कों पर से मां का चित्र हटवा दिया। लेकिन मां एग्रिपन द यंगर तो स्वयं को रोम का अघोषित बादशाह समझे बैठी थी। वह स्वयं को राज्य प्रबंध में दखल अंदाज़ी से एक पल के लिए भी रोक न सकी। वह अपने दांव-पेच खेलती रही।बादशाह नीरो अपनी पारिवारिक जीवन में भी अपनी मां की दखलदाज़ी से बहुत परेशान थे। मां ने नीरो को राज्य सत्ता तक पहुंचाने के लिए बादशाह कलोडियस की मंदबुद्धि बेटी कलोडिया एक्टेविया से नीरो की शादी भी जबरन करवाई थी। नीरो ने तो एक दिन के लिए भी कलोडिया एक्टेविया को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं किया था। नीरो एक्टेविया हर स्थिति में छुटकारा पाना चाहता था। बादशाह बनने के उपरांत नीरो को अपनी ही एक दरबारी की बेहद खूबसूरत पत्नी पोपिया सबीना   से प्रेम हो गया। क्योंकि पोपिया सबीना भी एक तीव्र राजनीतिज्ञ भी थीं। पोपिया के नीरो के जीवन में प्रवेश करने से अपना तख्त छिनते देख नीरो की मां उसे अपनी बहू के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हुई थी। उपरोक्त सभी से तंग आये बादशाह नीरो ने अपनी मां एग्रिपन द यंगर की हत्या करने का कड़ा फैसला ले लिया। मौका देख कर बादशाह नीरो के सैनिकों ने समुद्री रास्ते के द्वारा स़फर कर रही एग्रिपन द यंगर को उसकी नाव सहित समुद्र में डुबो कर मारने का प्रयास किया, लेकिन वह जान बचाने में सफल हो गई। नीरो के सैनिकों ने तो अपने बादशाह का आदेश हर स्थिति में पूरा करना था। वह नंगी तलवारें लेकर एग्रिपन का पीछा करते रहे। आखिर एक बादशाह नीरो की सेना के कब्ज़े में आई एग्रिपन ने मरने के समय इच्छा प्रकट की कि उसकी हत्या उसके गर्भ को चीरते हुये किया जाये क्योंकि इस गर्भ ने नीरो को जन्म देकर बहुत बड़ा अपराध किया है। नीरो के सैनिकों ने एग्रिपन द यंगर की इच्छा के अनुसार उसकी हत्या कर दी। मां की हत्या के उपरांत बादशाह नीरो ने अपनी पत्नी कलोडिया एक्टेविया को भी तलाक दे दिया लेकिन यह लड़ाई भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी। कोई पेश चलती न देख नीरो ने कलोडिया एक्टेविया की भी हत्या कर दी। बादशाह नीरो ने दूसरी शादी एक गुलाम लड़की औकटे से कर ली। फिर भी बादशाह नीरो की दिली इच्छी अपनी महबूबा पोपिया सबीना के साथ शादी करने की थी। अब पोपिया सबीना का पति (नीरो का दरबारी) रास्ते का कांटा बन रहा था। बादशाह नीरो ने इस दरबारी की भी हत्या कर दी और पोपिया सबीना से शादी कर ली। यह मोहब्बत नीरो को लम्बे समय तक रास न आई। एक वर्ष के बाद ही बादशाह नीरो और पोपिया सबीना के रिश्ते में कड़वाहट पैदा होनी शुरू हो गई। नीरो प्रतिदिन खेलने और घूमने-फिरने में व्यस्त रहता और अपनी संदिग्ध मिज़ाज पत्नी पोपिया सबीना को ज्यादा समय न दे पाता। नीरो और सबीना जब भी मिलते तो बातचीत ही तूं-तूं, मैं-मैं से शुरू होती। एक दिन लड़ाई झगड़े के दौरान गुस्से में आये नीरो ने गर्भवती पोपिया सबीना के पेट पर टांग मार दी। जिस उपरांत पोपिया सबीना ने अपने अजन्मे बच्चे सहित नीरो की बांहों में ही अपने प्राण त्याग दिये। कुछ वर्ष बाद बादशाह नीरो ने स्टातीला मैसालीना नामक लड़की से शादी तो कर ली, लेकिन वह पोपिया सबीना के साथ अपने प्यार को न भूल सका। कुछ महीनों बाद ही एक हमले के दौरान नीरो की नज़र इसपोरस नामक युवा लड़के पर पड़ी। इसपोरस के नयन-नक्श बादशाह नीरो की सबसे खूबसूरत प्रेमिका पोपिया सबीना से हू-ब-हू मिलते थे। बादशाह नीरो ने इसपोरस को उठवा लिया और उसे लड़की का रूप देने के उपरांत उससे शादी कर ली। 

(शेष अगले रविवारीय अंक में)