बहुत खतरनाक है बच्चों में कुपोषण 

संतुलित भोजन किसी बच्चे के शारीरिक और मानसिक  विकास ने लिए बहुत ज़रूरी होता है और उसके सूझवान नागरिक बनने में सहायता करता है। संयुक्त राष्ट्र संघ में पेश की गई एक रिपोर्ट बेहद भयानक तस्बीर बयां करती है। रिपोर्ट बताती है पूरे विश्व में पांच वर्ष के कम उम्र में कुल 70 करोड़ बच्चों में हर तीसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है। यूनिसेफ के अनुसार पहले एक हज़ार दिनों के लिए बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए संतुलित भोजन का मिलना बेहत आवश्यक हो लेकिन तथ्य इसके विपरीत ही बयां करते हैं कि पिछले 25 वर्षों में कुपोषण के द्वारा 15 करोड़ के करीब बच्चे शारीरिक और मानसिक रोगों के शिकार हुए हैं। वैज्ञानिक पक्ष से जहां मां का दूध पहले 6 महीने के दौरान बच्चे के लिए बेहद लाभप्रद होता है वहीं एक कड़वी सच्चाई सामने आई है कि करीब 60 प्रतिशत बच्चे किसी न किसी कारण इससे वंचित रह जाते हैं।  इसको त्रासदी ही कहा जा सकता है जहां तीसरे विश्व की करीब आधी आबादी विटामिन और खजिन की कमी के द्वारा शारीरिक और मानसिक रोगों का शिकार है वहीं अज्ञानता के कारण करोड़ो ही लोग वसा से भरपूर, गैर अवधि और असंतुलित भोजन लेकर मोटापे का शिकार होकर  दिल और शुगर जैसे रोगों की निमंत्रण दे रहे है। यूएनओ आगे बताता है कि बच्चों के द्वारा लगातार कुपोषण का शिकार रहना टीबी, मलेरिया और खसरा जैसे रोगों से कई अधिक हानिकारक है। अगर भारत की बात की जाए दो यूनिसेफ की रिपोर्ट बताती है कि भोजन में विटामिनों और खनिज पदार्थों की कमी के कारण यहां बच्चों में खून की कमी आम दिखाई देती है। यहां तक कि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का बड़ा कारण कुपोषण को ही बताया गया है। रिपोर्ट में भारत सरकार के द्वारा चलाई जा रही स्कीम ‘पोषण अभियान’ और ‘अनीमिया मुक्त भारत’ की प्रशंसा भी की गई है। अंत में यही कहना बनता है कि बच्चे के लिए मां का दूध और संतुलित भोजन लेना और इससे संबंधित आम लोगों को शिक्षित करना अत्यावश्यक है ताकि आज के बच्चे कल के अच्छे नागरिक बन सकें  और एक अच्छे समाज का और देश का निर्माण कर सकें। 

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