ईश्वर ही सत्य है !

यों तो कुछ गिने चुने लोगों को छोड़कर सभी ईश्वर की सत्ता को स्वीकारते हैं। मुट्ठी भर लोग ऐसे हैं जो तर्कवाद या बुद्धिवाद के घमंड से अनीश्वरवाद को सिद्ध करने का प्रयास करते हैं परन्तु देर सवेर उनके द्वारा भी ईश्वर का अस्तित्व सिद्ध हो ही जाता है। कोई तो है जो इस सृष्टि का संचालन कर रहा है। जैसे एक देश को चलाने के लिए राजा या सरकार की आवश्यकता पड़ती है, उसी तरह इस ब्रह्यांड का शासक भी ईश्वर है जो जीव को जीवन-मृत्यु के चक्र  में डालकर शासन करता है। एक व्यक्ति नास्तिक था। वह भगवान पर विश्वास ही नहीं करता था। वह हमेशा सबसे यही कहता था कि भगवान कहीं हैं ही नहीं। वह ईश्वर के अस्तित्व पर विश्वास करने वाले लोगों के साथ अनेक तर्क प्रस्तुत करता और यह प्रमाणित करने की कोशिश करता कि भगवान कहीं नहीं हैं। यह मनुष्य का मिथ्या विश्वास है। सृष्टि तो अपने नियमों के अनुसार स्वयं चल रही है। यहां तक कि उसने अपने शयनकक्ष में दीवार पर चारों ओर अंग्रेज़ी में लिखवा रखा था कि भगवान कहीं नहीं हैं।परन्तु अपने अंत समय में जब वह मृत्युशैय्या पर लेटा हुआ था, उसे किसी शक्ति ने आभास दिलाया कि परमात्मा उसके आस-पास ही है। उसने अपने मित्र से निवेदन किया—मित्र! मेरी अंतिम इच्छा है कि मेरे शयन कक्ष में जहां लिखा है—भगवान कहीं नहीं हैं, वहां लिखवा दें कि ईश्वर यहां हैं। मित्र ने ऐसा ही किया। इस तरह उस नास्तिक ने अंत में आस्तिक के रूप में प्राण त्यागे। (युवराज)