बासमती का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की आवश्यकता

किसान चिन्तित है ं कि उनकी धान की फसल का उत्पादन बड़े पैमाने पर प्रभावित होगा। पंजाब राज्य बिजली निगम (पी.एस.पी.सी.एल.) के पास 15500 मैगावाट की मांग के लिए सिर्फ 12500 मैगावाट बिजली उपलब्ध है। भाखड़ा ्ब्यास मैनेजमैंट बोर्ड व अन्य हाइड्रो पावर स्टेशनों पर कम बिजली होने के उपरांत और तलवंडी साबो के पावर प्लांट में जड़ता आने के कारण बिजली निगम किसानों को ट्यूबवैलों के लिए 8 घंटे प्रतिदिन बिजली उपलब्ध नहीं कर रहा और डीज़ल 92 रुपये प्रति लीटर से भी पार हो जाने उपरांत किसान इसके इस्तेमाल का खर्चा सहन करने में असमर्थ हैं। पानी की कमी के कारण धान की फसल सूख रही है और 10 लाख हैक्टेयर के लगभग धान, बासमती अभी लगनी है। इस रकबे की काश्त के लिए तुरंत मानसून की आवश्यकता है। कई स्थानों पर तो पिछले सप्ताह रविवार को कुछ बारिश हुई परन्तु अधिकतर स्थान शुष्क पड़े हैं। डा. बलदेव सिंह संयुक्त डायरैक्टर कृषि और किसान कल्याण विभाग के अनुसार इन स्थानों पर कई किसानों ने अपनी ताज़ा लगी फसल नष्ट भी कर दी है। पंजाब परिज़र्वेशन आफ सब सुआयल वाटर एक्ट, 2009 के तहत पंजाब सरकार ने 10 जून से धान लगाने की छूट दे दी थी परन्तु किसानों ने लम्बे समय में पकने वाली किस्में इस समय से पहले ही लगानी शुरू कर दी थीं। जून में कुछ बारिश हुई थी। 
कृषि विशेषज्ञों ने इस स्थिति पर काबू पाने के लिए किसानों को सलाह दी है कि वह पहले 23-24 दिन के बाद धान की फसल में पानी खड़ा न करें। खेत में चार सप्ताह के लगे पौधे के नष्ट होने की कोई संभावना नहीं। उसके बाद भी पानी सूखने के उपरांत खेत को 1-2 दिन के लिए छोड़ कर पानी दिया जा सकता है। किसानों को अपनी ज़मीन की किस्म का अवश्य ध्यान रखना चाहिए क्योंकि रेतीली ज़मीनों में पानी जल्द ही शुष्क हो जाता है। ज़मीन में किसी हालत में भी दरारें नहीं आनी चाहिएं। फिछली शताब्दी के दौरान पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के चावलों के क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र कपूरथला में की गई खोज बताती है कि देर से ट्रांसप्लांट की जाने वाली फसल के लिए किसान 60 दिन की उम्र की पौध भी इस्तेमाल कर सकते हैं परन्तु ऐसी स्थिति में किसानों को पौधे पूरे लगाने चाहिए और बड़ी आयु की पौध लगाने के लिए 25 प्रतिशत पौधों की संख्या बढ़ा देनी चाहिए क्योंकि बड़ी आयु की पौध में पौधे नष्ट होने की भी आशंका होती है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पौध बड़ी आयु की हो जाए तो नर्सरी को 20-25 प्रतिशत यूरिया की खुराक को बढ़ा देना चाहिए। ऐसा करने से किसान जुलाई माह के दौरान धान लगा सकेंगे। बेहतर होगा कि यदि वे थोड़े समय में पकने वाली किस्में जैसे बासमती की पूसा बासमती-1509 और धान की पी.आर.-126 किस्मों का इस्तेमाल करें। 
किसानों ने तो बिजाई के लिए जुलाई के आरंभ में ही धान लगाने के लिए मानसून की भविष्यवाणी के अनुसार खेत तैयार कर लिए थे। कुछ किसानों ने तो धान लगाना शुरू भी कर दिया था परन्तु उन्हें फिर यह बंद करना पड़ा था क्योंकि बारिश हुई नहीं थी और ट्यूबवैल का पानी पर्याप्त नहीं था कि वे धान की रोपाई को जारी रख सकें। ट्यूबवैलों के लिए बिजली मुश्किल से 4-5 घंटे ही दी जा रही थी और कई स्थानों पर बिल्कुल ही उपलब्ध नहीं थी क्योंकि ट्रांस्फार्मर पर तारें जल गई थीं। 
अधिक उत्पादन के लिए विशेषज्ञ अब रोपाई के समय खेत में 2-3 पौधे लगाने की सिफारिश करते हैं और पौध उखड़ चुकी हो तो वह 48 घंटों के भीतर 4-5 सै.मी. की गहराई पर लगा देने से अधिक उत्पादन की प्राप्ति होगी। पंजाब यंग फार्मज़र् एसोसिएशन और कन्सोर्टियम आफ आल इंडिया फार्मज़र् एसोसिएशन ने मांग की है कि बासमती का न्यूनतम समर्थम (एम.एस.पी.) मूल्य तय किया जाए।