अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस पर विशेष  दिमागी युद्ध का खेल है ‘शतरंज’

मनुष्य ने अपना दिमाग इस्तेमाल करते हुए अब तक जितने भी खेलों की रचना की है, उनमें से सबसे अधिक दिमाग लगा कर खेला जाने वाला खेल शतरंज है। इससे खिलाड़ी का शरीर बेशक पसीने से तर न हो लेकिन दिमाग का तो खून-पसीना एक हो जाता है। यह वास्तव में दिमागी युद्ध का खेल है, जिसमें दोनों ओर से बराबर ताकत व संख्या की दो सेनाएं सांकेतिक रूप में आपस में भिड़ती हैं और फिर ‘शतरंजी चाल’ की बदौलत एक सेना, दूसरी सेना को मात दे देती है। 20 जुलाई को दुनिया भर में ‘अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव विश्व प्रसिद्ध संस्था ‘यूनैस्को’ ने पेश किया था और सन् 1966 में यह दिवस पहली बार मनाया गया था। प्रमाणित तथ्य यह है कि 20 जुलाई का दिन इसलिए चुना गया था, क्योंकि 20 जुलाई, 1924 को इंटरनैशनल चैस फैडरेशन की स्थापना हुई थी और उस दिन को यादगारी बनाए रखने हेतु यह दिवस 20 जुलाई को ही मनाने की परम्परा का शुभारंभ हुआ था। महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि इंटरनैशनल चैस चैम्पियनशिप में 181 चैस फैडरेशन्स शामिल हैं। यह दिवस विश्व भर में मौजूद 605 मिलियन शतरंज खिलाड़ियों द्वारा पूरे जोश व उत्साह से प्रति वर्ष मनाया जाता है। यह भी माना जाता है कि शतरंज का खेल 7वीं सदी पूर्व भारत में खेले जाने वाले खेल ‘चतुरंगा’ से काफी मिलती है। भारत से यह खेल पर्शिया में चला गया था। अरब देश के लोगों ने जब पर्शिया को जीत कर उस पर कब्ज़ा कर लिया तो यह खेल थोड़े परिवर्तनों के साथ उनके पास चला गया। मुसलमानों से यह खेल दक्षिण यूरोप तक फैल गया और फिर मध्य युग से होता हुआ वर्तमान स्वरूप वाला यह खेल 15वीं शताब्दी में प्रचलित हो चुका था। 

-410, चन्द्र नगर, बटाला।
-मो. 97816-46008