पुन विश्वास बहाली के लिए

मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने उप-मुख्यमंत्रियों स. सुखजिन्दर सिंह रंधावा और ओ.पी. सोनी के साथ मिल कर तुरंत कुछ ऐसे फैसले लिये हैं, जिनका एकाएक प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ने से इन्कार नहीं किया जा सकता। इनमें ज़रूरतमंदों के लिए 32 हज़ार नये घर बनाना, किसानों को अपनी ज़मीन में से अपने उपयोग के लिए रेत निकालने की अनुमति देना, ज़रूरतमंदों के लिए मुफ्त बिजली की यूनिटों में वृद्धि करना, ग्रामीण जल आपूर्ति योजनाओं के ट्यूबवैलों के बकाया बिजली बिलों को माफ करना तथा 5 मरले के प्लाट अलाट करने की प्रक्रिया को आसान करना आदि शामिल हैं। इसके साथ ही सरकारी कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि करना भी शामिल है। 
एकाएक लिए गए इन फैसलों का प्रदेश की आर्थिकता पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस संबंध में शायद उनके द्वारा कोई विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श नहीं किया गया। इसका एक बड़ा कारण नई सरकार के पास समय की कमी है। चार-पांच महीने की अवधि में ऐसी घोषणाएं करना तथा उन पर काम शुरू करना उन्हें ज़रूरी लगने लगा है। उनका पूर्ण होना या उनके प्रभावों संबंधी विचार करने के लिए सरकार के पास अधिक समय नहीं है। फिलहाल नये मंत्रियों के नामों की भी घोषणा की जानी है तथा उन्होंने भी शपथ लेनी है। उन्हें अपनी कारगुज़ारी दिखाने के लिए शीघ्र कुछ अनछुये कार्य शुरू करने पड़ेंगे। चाहे प्रदेश में सरकार तो कांग्रेस की ही है परन्तु इसके नये रूप में सामने आने से गतिविधियां तो तेज़ करनी ही पड़ेंगी, क्योंकि कम समय में इसने गत वर्षों में शेष रह गए कार्यों को भी पूरा करने का प्रभाव देना है। जिस प्रकार के हालात पार्टी के भीतर बने हुए हैं, उनके कारण भीतरी और बाहरी विवादों से पीछा नहीं छुड़ाया जा सकता। अन्य राजनीतिक पार्टियां भी इस बदलाव को ध्यान से देख रही हैं। वे भी पूरी तैयारी में दिखाई दे रही हैं। उनके द्वारा अपनी प्रतिक्रिया देने के साथ-साथ कई प्रकार के दबाव भी बढ़ाये जाएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू तथा उप-मुख्यमंत्री सुखजिन्दर सिंह रंधावा अन्य पार्टियों के नेताओं के विरुद्ध जिस तरह के गम्भीर आरोप लगाते रहे हैं एवं कड़ी बयानबाज़ी करते रहे हैं, उन मुद्दों पर भी वह अन्य पार्टियों के नेताओं के विरुद्ध प्रशासनिक पग उठा सकते हैं, जिनसे उत्पन्न हुई प्रतिक्रिया को सम्भालने हेतु उन्हें स्वयं को तैयार करना पड़ेगा, क्योंकि दिए गए बयानों तथा किये गये वायदों को एकाएक क्रियात्मक रूप दे पाना बेहद कठिन होगा।
पहले ही बुरी तरह से दुविधा में फंसे प्रदेश के लिए एकाएक उठाये गये ऐसे बड़े पग नुकसानदायक भी साबित हो सकते हैं। किसी भी प्रशासनिक कार्य के लिए सिर्फ जोश की ज़रूरत नहीं होती। उसके लिए सही योजनाबंदी किये जाने की ज़रूरत भी होती है। लम्बी अवधि से दरपेश अहम घटनाक्रम संबंधी ज्यादातर मामले आज अदालतों में चल रहे हैं, जिन्हें सही प्रक्रिया के बिना नहीं निपटाया जा सकता। एकाएक उठाये जाने वाले पगों को सही मार्ग पर चलते हुए किस तरह लाभदायक बनाया जा सकता है, यह प्रश्न आज सभी के समक्ष है। सरकार द्वारा आगामी कुछ महीनों में सोच-विचार कर उठाये गये पग ही पुन: विश्वास बहाली को सुनिश्चित बना सकेंगे। 
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द