खाने के प्रति बच्चों में रुचि जगाएं

बच्चों में खाने के प्रति अरूचि का मुख्य कारण स्वाद का पता न होना है। जब बच्चा जन्म लेता है तो वह दूसरे या तीसरे दिन से मां का स्तनपान करने लगता है। इस प्रकार वह जन्म के बाद एक ही स्वाद से परिचित हो जाता है और वह है ‘मां का दूध‘। वह किसी अन्य प्रकार के भोजन से परिचित नहीं होता है। यह क्र म लगभग 4 महीने तक चलता है। जब उसे बाहर का दूध देना आरंभ किया जाता है तो चूंकि वह अन्य स्वाद से परिचित नहीं है, इसीलिए उसे वह दूध अच्छा नहीं लगता।
हमारे घरों में तरह-तरह के भोजन बना कर बच्चों को दिए जाते हैं। यहां तक कि एक ही दिन में दो या तीन प्रकार के भोजन तैयार किए जाते हैं। चूंकि बच्चा केवल मां के दूध से ही परिचित होता है वह उस भोजन को इतनी आसानी से ग्रहण नहीं कर पाता और थूकना आरंभ  कर देता है। जबरदस्ती करने पर उल्टी कर देता है। 
इस समस्या से निपटने का एक ही कारगर तरीका है कि बच्चों में पहले भोजन के प्रति उत्साह उत्पन्न किया जाये तथा उन्हें स्वाद से परिचित करवाया जाए। यह कार्य आसान नहीं है, अत: आप एक ही प्रकार का भोजन चयन करे और उसे लगातार कुछ हफ्तों तक देती रहें। 
बच्चों को खाना देने के क्र म में कठोरता न बरतें। पेट छोटा होने की वजह से वह कई बार थोड़ा-थोड़ा भोजन स्वीकार कर पाता है। अक्सर देखा गया है कि बच्चे अपना मुख्य भोजन लेने से कतराते हैं क्योंकि पेट पहले से ही अन्य चीजों से भरा रहता है जैसे कोई फल, चाकलेट, मिठाई, नमकीन इत्यादि।
बच्चों  को रात का भोजन खिलाने के लिए माता-पिता रात के आठ बजे से व्यस्त हो जाते हैं। जल्दी इस बात की उनको रहती है किसी तरह बच्चा खाना खा ले तो वे स्वयं इत्मीनान से बैठ कर खाना खाएंगे किन्तु बच्चे को कभी-कभी उस समय भूख नहीं लगती।
तब आप उसके साथ जबरदस्ती न करें। कुछ देर बाद जब आप खाना खाएं तो बच्चे को भी मेज पर बिठाएं। उसको भी एक थाली में थोड़ा खाना दें। यह उचित समय है जब आप बच्चे को मेज शिष्टाचार से अवगत करा सकते हैं। आप पाएंगे कि आपका बच्चा आपकी देखा-देखी स्वयं भी खाने की चेष्टा कर रहा है। यह आपके लिए खुशी की बात है।  (उर्वशी)