देश का मुख्य आधार होते हैं विद्यार्थी

विद्यार्थी जीवन मनुष्य के जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण समय होता है। क्योंकि किसी भी समाज व देश का भविष्य इन पर ही निर्भर करता है। इनकी नींव जितनी मज़बूत होगी, आने वाला समय उतना ही स्वर्णिम होगा। हमारे देश के 11वें राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम विद्यार्थियों के लिए रोल मॉडल थे। उनका जीवन एक प्रेरणा थी कि किस  तरह गरीब परिवार का बच्चा अपनी मेहनत, लगन और कुछ करने के जज़्बे से भारत के सबसे ऊंचे संवैधानिक पद को प्राप्त कर सकता है। वह एक महान वैज्ञानिक, चिंतक दार्शनिक होने के बावजूद स्वयं को एक अध्यापक कहलाने में गर्व महसूस करते थे। वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र में डा. कलाम की विद्यार्थियों के प्रति प्रेम-भावना को देखते हुए 15 अक्तूबर को उनके जन्मदिन को विश्व विद्यार्थी दिवस मनाने का निर्णय किया। हर वर्ष यह दिन स्कूल-कालेजों में बड़े सम्मान  के साथ मनाया जाता है। डा. कलाम का विचार था कि जीवन में कठिनाइयों को देखकर कभी घबराना नहीं चाहिए, अपितु उनका समाधान ढूंढ कर जीत प्राप्त करनी चाहिए। जीवन में आगे बढ़ने के लिए किताबी ज्ञान के साथ-साथ दुनिया का ज्ञान भी प्राप्त करना चाहिए। अपनी सभ्यता और संस्कृति की जानकारी रखने के साथ-साथ उसके प्रति व़फादार भी होना चाहिए। यही समय होता है जब विद्यार्थी भीतर की प्रतिभा को निखारते हैं और आत्म-निर्भर बन सकते हैं। जीवन को कभी भी किस्मत के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए। सफलता का आनंद उठाने के लिए कठिनाइयों की ज़रूरत होती है। यही हमें शिखर तक पहुंचने के लिए प्रेरित करती है। यदि हम भविष्य नहीं बदल सकते तो, आदतों को बदलें, हो सकता है आदतें बदलने से भविष्य बदल जाए।विद्यार्थी जीवन में अनुशासन बहुत ज़रूरी होता है और यह सफलता की कुंजी है। यह जीवन में विकास और तरक्की के लिए ज़रूरी है। अनुशासनहीनता इस समय की बड़ी मूर्खता है जो विद्यार्थी को उसकी मंज़िल से दूर करती है और आने वाला समय दुखों और समस्याओं से भर जाता है। शारीरिक, मानसिक, भौतिक और नैतिकता का विकास इस जीवन में ही होता है। यह जीवन साधना और तपस्या का होता है जिसमें सहनशीलता, सरलता, ईमानदारी, अभ्यास, भक्ति, आत्म-सम्मान जैसे गुण महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, यह सब अपनी सोच पर निर्भर करता है। डा. कलाम ने घर-घर अखबार बेच कर पढ़ाई पूरी की। समाज और राष्ट्र के रीढ़ की हड्डी होते हैं विद्यार्थी। इसीलिए उन्हें हर विषय का पता होना चाहिए कि समाज और राष्ट्र के विकास के लिए कौन से पग उठाने ज़रूरी हैं। शिक्षा हर समस्या का हल है। यह जीवन एक खाली कागज़ जैसा है जिस पर विद्यार्थी मेहनत की मोहर लगाते हैं और इतिहास रच सकते हैं जिसकी उदाहरण हमारे सामने हैं डा. कलाम जी। उन्होंने साबित कर दिया कि एक साधारण-सा आदमी अपनी सादगी और कड़ी मेहनत से देश का राष्ट्रपति बन सकता है जिन्हें ‘मिसाइल मैन’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन हम सब गर्व महसूस करते हैं कि डा. कलाम ने भारत में जन्म लिया। आने वाले लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनें, इतिहास रचा। इस महान हस्ती को शत्-शत् प्रणाम।